(४) पिछली मुसीबतों पर एक नजर [ नेशल ] नेरःकेगोरे मालिकों को निरे गुल्ञामो को ही जरूरत थी। ऐसे मजदूरों को वेनहीं चाहते थे, जोनौकरी
के बाद स्वतन्त्र होकर छुआ अंशों भे उनके साथ प्रतिस्पों करने फो तैयार हो जायें । भारत से भो ऐसे ही लोग गिरप्रिटिया बनकर अफ्रीका गये थे, जो सफल किसान न थे। किन्तु वे ऐसे अनजान भी तोन थे कि उन्हे खेती का कुछ ज्ञान ही न होया जमीन और खेती की कौमत ही न सममते हो। उन्होंने देखा कि यदि हम नेट मेंसाग-तरकारी की भी खेती करें तो भी बड़ी आसानी से अपना पेट भर सकते हैं । और अगर हमें जमीन का छोढा-सा दुकड़ा भी मिल्न जाय, तो हम और भी अधिक धत्त कमा सकेंगे। अतः जब बहुत से गिरमिटिया मुक्त
हुए, तब उन्होंने एक-न-एक छोटा-सा धघा शुरू कर दिया। कत्त
मिलाकर देखा ज्ञाय तो इससे नेढाज जसे देश मे जनता को फायदा ही हुआ । ऐसी अनेक प्रकार को तरकारियोँ वहाँ पेदा
होने लग गयीं जो अच्छे किसानों के अभाव के कारण अबतक