अन्द का मारन्भ
रद
पुनः जेल की यारी कर इस आशय के निवेदन पत्र प्रकाशित कर
दिये कि रून् १६१४ केजनवरी फी पहली तारीख से जेल जाने पाले ढरवन से क्ूंच करंगे। ता० १६ दिसिम्पर १६९३ को हमें!
'होड गया था, २९ वी को दसने उपयुक्तपत्र लिखा भौर २४ वीं की जनरत्ञ का यह उत्तर मिल्ला था पर इस उत्तर-में एक बात थी, जिस पर से मेने उन्हें फिर
एक पत्र जिखा। जनरक्ञ के जवाब में यह वाक्य था, 'कमिशन
शी निष्पक्ष और अदालती बनाया गया है. प्र उसकी नियुक्ति
समय यदि भारतीयों की सलाह नहीं ली गई, तो खानों के माज़िकों केसाथ तथा चीनी के कारखाने वालों के,साथ भी कोई सत्नाद नहीं की गई? । इस पर से मेंनेउन्हे एक खानगी पत्र लिखा
जिस मेउन्हें.सूचित किया कि यदि सरकार न्याय ही चाहती दो
ते मुशे जनरत्ञ स्मटस से मिलना है । और उन्हे कुछ वाएँ कह.
। है। इसके उत्तर मे उन्हों ने मेरी प्रार्थना को स्वीकृत कियों। इसलिए कुछ दिन के लिए तो क्रूच मुल्तवी की गई ।
इधर जब गोखत्ेजी ने सुना कि पुनः कूच की तयारी हो रही है,तो उन्हों ने एक तम्वा चोड़ा तार भेजा | उसमे लिखा था कि मेरेइप कार्य से ला ह्ाहि'ज की और स्वयं उनकी स्थिति भी बड़ीविचित्न हो जायगी ।.इसलिए कूच को स्थगित करने तथा
कमिशन के सामने अपना सबूत पेश करने के लिए उन्हों ने बड़ी
जोरोंकी सहला दी ।
- अब तो दस घर्म-संकट सें फंस गये। कौस तो इस बात की
पतिज्ञों कर चुकी थी कि यदि उनकी मनन््शा के अनुसार कमिशनः
किसभ्य नहीं बढ़ाये गये तो बह उसका बहिष्कार करेगी। लोड दाहि'ज अप्रसल हो जायें और सखतरय॑ गोखले को,भीढु.ख हो तो सकता था ।मि? ऐंझडूयूज ने सुकाया कि. भंगकेसे हो प्रतिज्ञा