पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४६३

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अफ्रीका कासत्योमद

गोसलेजी की सहातुभूवि, उनकी नोजुक दाल्त तथा इसोरे

निश्चय से उनको जो आयात पहुंचने की संभावना थी उस पर भी पूरा विचार कर लेने की जरूरत है। मैं तोजानता हो था। मुत्रियाओं को सलाह हुई, और अन्त में सब इसी निर्णय पर पहुंचे कि कमिशन मेंयदि अधिक सम्य नहीं लिये गये तो उसका

चहिष्कार तो अवश्य ही करना चाहिए। फिर इसका परिणाम चाहे जो हो। इमलिए फिर लगभग सौ पोंड खर्च करके एंड

ज्म्बा तार गोखशेजी को तार भेजा गया। इससे ऐंण्डूयूज भी सहमत हो गये । इस तार का आशय सीचे लिखे अनुप्तार था

“आपके दुख को हम समझ सकते हैँ। मेरी हमेशा यह इच्द्रारहेगीकिसबवातोंको छोड़ कर झापकी सलाह का हीसम्मान कह । जार दवार्डि'ज सेमी हमारी अमूल्य सहायठा की हे। मेंयह भी बाहता हूँकि इसी प्रकार अंततकहमे उनकी सद्ायता मिलवी

रहे। परसाथहीप्राथैवा करताहूँ.किआप हमारी रियति कोभी समझ ले । इसमें हजारों मनुष्यों शोअतिज्ञा का प्रश्न है। प्रतिज्ञा

शुद्ध है।सारे युद्ध की रचना प्रतिज्ञाओं पर की गई है। यदि यह

बन्धन न होतावोआज्न हममें से कितने ही फिसल गये द्वोते।

इचाएं मनुष्यों को प्रतिज्ञा यदि इस तरह पानी मेंडुबो दी लायतो

फिर संसार से नेतिक बंधनजैसीकोईचस्तुदीनहींरहेगी । प्रतिशा करते समयलोगोंनेपूराविचार करलियाथा रउपस्तमें किसी प्रकार

की अनीतितोहुईनहीं। वहिष्कार की प्रतिज्ञालेनेकाभी कौमको अधिकार है।मेंचाहताहूँकिभापभीयहीसल्लाहदेंगेकिइस

तरद गम्भीरता पूरक की गईप्रतिज्ञा किसो केल्ञिपभीन वोडी जाय। उसका पालन तो होना ही चादिए, फिर चाहे सो हो जाय। यह सार ज्ञा्दे हाढिलकोभी बवाइएगा । मेंचाहता हूँकि भापकी

स्थितिविचित्र न हो।हमने परमात्माकोसाह्ती रख करभौर