पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४७०

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पत्र व्यवहार

शयमिक सममौते के लिये अनरज्ञ स्मटस और [मिरे बीच

पत्र ध्यधद्ार शुरू हुआ |मेरे पन्न फाआशय इस प्रकार था ९-०

“आपकी सूचनानुमार हम अपनी प्रतिज्ञा के कारण फमिशन

फी सदययता नहींकरसफंगे। इस प्रतिज्ञा फोआपसमझ सफप़े

हैंभर छड़ी क्र भी फरते हैं । आप भारतीयों फे साथ

साह भशविरा करनेफेतत्वको इधृल करते हैं । इसलिये में

अपने देशभाइयों कोयहसशाह अचश्य दे सफताहू, कि पे

फेमिशन मेंसवूत पेश करने के अतिरिक्त अन्य प्रकार से उसकी

सद्ायत्ता फरसकते हूँ। फम सेकमरपेउसकेकाममेंरोड़े अहकानेसेतोजरूरबाज आये ।मेंउन्हेंयहध्तादभीदे सकूंगा कि जब तक फसिशन जारी हैऔर नपीन कानूनों का विधान नहीं

होजाता तब तक सरकार फोआपत्ति में नहाल जायइसख्याल से

पेसत्याप्द कोसीमुज्तवीरक्खे।भारत केबड़ेजाटमहोदयके भेजेसर बजासिन रॉवर्टंसनकीसहायता करनेके लिये भी उनसे मैं

सिफारिश कर सकताहूँ|झुझ्लेकहना होगाकिहम अपती प्रतिज्ञाके

फीरण उन दुःखों कोकमिशन फेसामनेसबूत पेशकरके साबितनह्दी

घरसगे जिन्हेंहमनेजेलमेंभौरइड़तातों केदिलोंमेंसेल

[ । सत्माप्रही कीदेसियत सेहमसेजहांपक द्वोगा धम,अपने