पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४७१

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दृदिणु अफ्रीका का सत्यायद

कष्टों की न तोशिकायत करेंगे, और न इसके बदले की ही इध्छा'

क्षरेंगे। परहमारे इस समय के इस मौन का कहीं यह अथे न क्या

जिया जाय किउन्हें सिद्ध करनेफेलिए हमारे पास कोई सामग्री

ही नहीं है। मैंचाहता हूकिआप हमारी स्थिति को भी समझ

तें। इसके अतिरिक्त चूकिहम सत्याप्रह को मुलतवी करने के लिए तैयार हैं,उस अव्रस्था में इस युद्ध केकारण जो ज्लोग आप

कीकदमेंहैंवेभीछोड़दियेजायें। हम लोग जो जो वातें

चाहते हूँउन्‍हेंमैंसंत्तेप में नीचे लिख देना आवश्यक सममता

हूँ।

-- (१) तीन पौंडकाकरउठालिया जाय

(२) हिन्दू, इस्लाम इत्यादि धर्मो' की विधि के अनुसार किये

गये विवाह कानूनन समझे जाय॑।

  • (३) शिक्षित भारतीय इस देश से प्रवैश पा से ।

'. (४) शऑरेब्जिया के विपय में जो इकरार हुएहैंउनमें सुघारे किया जाय ।

यु

(९) यह विश्वास दिलाया जाय कि अ्चलित कानूनों पर इसी मकार अम्त्त किया ज्ायग जिससे वर्तमान अधिफारों के हक में कोई हानि न हो ।

+

भल्तदी रखने के लिए सत्वाह दे सकूंगा ।”

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इन बातों का संतोषग्रद उत्तर मिलने पर मैंकौम को सत्याप्रद लीन

यह पत्र १६१४ की जनवरी की २९ वीं तारीख फो मैंने लिखा

था । उसी दिन उनका उत्तर भी मित्र गया।

आशय यह था

“यह जानकर सरकार को दुख हुआ कि आप फमिशन में

>बानी नहीं दे सफेगे। पर वह आपकी स्थितिझो समेर्क

हैं। आप अपने कब्टों वमैरा विषयक घात छोड़ देना सकती चाहते हैं

को भी सरकार -समझे हुए है। पर-जब -आप उस