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दक्षिण अफ्रीका का सत्यामह
कि जब दक्षिणी अफ्रिका के गोरे इस घात को सममने लग जा*
बेगे कि अवतो भारतवर्ष सेगिरमिट्या मजदूरों का श्ना बंद
हो गया है, तथा दक्षिणी अफ्रिका मेनवीन भाने वाल्ों के संवध भे जो कानून स्वीकृत हो गया है उसके अनुसार स्वतंत्र
भारतीयों का झाना भी लगभग बंद सा ही होगया है, और साथ
ही जब वे यह भी जान लेंगे कि भारतीय यहा के राज्य-ार्य में भी हस्तक्षेप करने की कोई महत्वाकांत्ता नहीं राघते, तब तो वे भी
इस वात को महसूस करने लग जावेगे कि उपयुक्त सत्व उन्हें ज़रूर ही देना चाहिए, और उसी मे न्याय भी है। इस॑ प्रश्न को हल करने मे पिछले कुछ मद्दीनों सेसरकार ने जिस उदार नीति
का अवलम्धन किया है, व६ यदि वर्तमान कानूनों पर अमत् करते
समय भी इसी प्रकार कायम रही, जैसा कि आपके पत्न में लिखा है,तो भुझे विश्वास हैकि समस्त यूनियन भर में भारदीय
जनता दुद्च शांतिपूषकरद्द सकेगी, भौर वह सरकार की भ्रशांति फा
भी कारण न होगी।