पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४८०

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उपसंहार इस तरह श्राठ वर्ष के बाद सत्याम्रह का थद् मद्दान्‌ युद्ध

पम्माप्त हुआ | भर माछूम होने लगा कि समस्त दक्षिणी अफ्रिका भें बसने वाले भारतीयों को शान्ति मित्री |दुःख तथा दृर्षके साथ

मैंइंग्लैर्ड मे गोखलेजी से मिल कर भारतवर्ष को लौटने के लिए

दक्षिणी अफ्रिका से निकल पष्ठा |जिस दक्षिणी आक्रिका में मेंने २९ वर्ष निवास क्रिया और असर्य कडुवे तथा मीठे अजुसवों

को प्राप्त किया, साथ ही जहां मैंने अपने जीवनोदेश का दर्शन

किया, इस देश फो छोड़ते हुए मुझे वडा दु.,ख हुआ भौर कुछ श्रनिच्छा भी मातम हुई । हृप मुझे इस विचार से हुआ कि अब

मुझे कई वर्षों मेभारतवर्ष ज्लौट कर गोखले की छत्रच्छाया मे सेवा

करने का सदूभाग्य भ्राप्त होगा । “7 उस लड़ाई का इस तरह सुन्दर अन्त हुआ। किन्तु उसके साथ दक्षिणी अफ्रिका के भारतीयों की वततभान भवस्था की जब हभ तुलना फरते दें तब क्षण भर के लिए दिल्नमे यही प्रश्नउठता

है कि इतने दुःख और कष्ट हमने क्यों उठाया होगा ”

अथवा सत्यम्राद् जेसे शस्त्र की फिर कौन विशेषता रही इस

प्रश्न केउत्तर परभी यहां विचार करलेना जरूरी हे। सृष्टि का यह एक अटल नियम हैकि जो बत्तु जिस साधन से प्राप्त दोदी

है उसी साधन से उसकी रक्षा भी धोती है! सत्य से संप्राप्त