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भारतीयों ने क्या किया ?
उसमें मैंनेदेखा फि भारतोयों के तमाम अधिकार छीनने को यह शुरूआत है। वहाँके भाषणों ही से उन्तका यह उर्देश व्यष्ठ मालूम होता या। सभा में आये हुए सेट-साहुकारों जोरह
दिखाया और जहाँतक मुझे दो सका उन्हें समझाया। क्योकि
मेंपूरी-पूरी कथा तो जानता ही न था। मैंने उनसे कहा कि भार-
तोयों को चाहिए कि इस आक्रमण का यथोचित उत्तर दें|उन्होने
मेरी वात को मंजूर फिया। पर साथ ही यह भो कहा कि ऐसे
आंदोलन हमसे चलना मुश्किल हैं। ओर मुझे रह जाने के लिए
आप्रह करने लगे। मेंने भीउस लड़ाइ को लड़ लेने तक अधांत एक आध महीना ठहरना मंजूर कर लिया। उसी रात को घारा-सभा मे भेजन फे लिए एक दरख्वास्त तैयार झो ।फौरनएक कमिटी बना ली गयो |कमिटी के अध्यक्ष थेसेठ अवदुल्ला हाजो आदम । उनके नाम से एक तार किया। विल्ञ को दो रोज तक ऐक रखा, और दक्षिण अफ्रोका को धारा-सभाश्रों में से नेटाल की घाय-सभा में भारतीयों रो पहली द्रख्वासत पहुँची। इसका अच्छा असर पड़ा, सेकिन बिल पास हुआ । इसका नो
नतीजा निकज्ञा उसे मेंचौथे अध्याय में लिख चुका हूँ। इस
प्रकार वहाँ पर कंगड़ने कायह पहला द्वी मौका था। इसलिए भारतीयों मेंखूब उत्साह दिखायो दिया |वार बार मभायें होतों। बढ़ी बढ़ी तादाद मेंवहाँ मनुष्य आते । आवश्यकता से अधिक धन इस काम के लिए इकट्ठा होगया ।नकल करने, दस्तखत लेने
आदि कामों मेंसहायता करने के जिए बहुत से रबरयंसेबक आा
जुटे और वे सध बिना द्वीतनख्वाह अपनो गाँठ का खाकर काम
करते। भुक्त भारतीयों के ज़ड़के भो इस काम में उत्साहपूलंक आ मिले। ये सब अंग्रेजी जाननेवाते और खुशखत लिखने
बातेनौजवान थे | उन्होंने रात-दिन एक करके चढ्ढे उत्माह के