पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/७९

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दि अफीका का सत्याग्रह

छुपाने पढ़े। पाँच इजार प्रतियाँ देश में जग६-जगह भेजकर

बँंटबा दीं। इसी समय मैंनेवम्बई में सर फिरोनशाह्‌ महदेवा;

न्यायमूर्ति बेद्रद्दीन तैयवजी, महादेव गोविन्द रानडे वरगेरा, पता मेंलोकमान्य तिक्षक और उनका सण्ढक्ष, श्रो० भाण्डारकरः

गोपातन ऋष्ण गोखले और उनका मण्डज्, आदि भारतननेताओं

के दशन किये। और बम्बई से लगातार पूना और मद्रास मे

भाषण भी दिये। इनका वर्णन मैंग्रहोंपर नदीं करना चाहता | पर पूते का एक पवित्र स्मरण यहाँ लिखे बिना

आगे नहीं वढ़ सकता, यद्यपि हमारे इस विषय के साथ उसकी

सम्बन्ध नहीं। पूना मेंसावेजनिक सभा ल्ोकमान्य के दाों में, थी। स्वगीय गोखले का सम्बन्ध दक्लिन सभा के साथ था |

पहले पहल मित्रा तिलक सद्दाराज से। अब मैंनेपूर्ता मेंसभा

करने का अपना हेतुप्रकट किया, तब उन्होंने पूछा--आप गोपातराब से मित्ने ?

कल

मैंउनके कहने का' आशय नहीं समझता, इसलिए उन्दोंने

फिर पूछा कि आप मि० गोखले से मिक्ष चुके हैं! उन्हें आप ब जानते हैं

मैंनेकह्दा-नथमी उनसे नहीं मित्रा। केवल नाममात्र से उन्हें जानता हैँ।पर मित्रता जरूर चाहता हूँ। लोकमान्य--मालूम द्ोता है,आप भारतीय राजनैतिक हक्षपरिचित नहीं हैं। चक्षों से

_ मैंने कह्ा-हंग्लैंड से शिक्षा प्राप्त करके ख्लौटने पर मैंभारत

में चहुत कमर ठ्र ।और उतने समय में भो राजनैतिक बातों में'

मैने जरा भो भाग नहीं लिया ।मैंइसे अपनी शक्ति के बाहर की चाद मानता था। लोकमान्य--तो मुझे आपको इन बातों का कुछ परिचय