पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/९१

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दत्तिण श्रमोका का सत्पाग्रट

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गया। आम रास्ते पर आये कि फिर तो छोटेन्चहे कोग इकट्ठ हो गये।किसी सजवूत आदमी नेमपटकर सैकड़ों मि० लगन

को अपने दोनों हाथों मेंपफड़े जिया और मुझ से अल्ग कर दिया ।उनके शतग होते डी मुझ पर टोने लगी गाल्ियों, पत्र मेरी पगड़ी और जोछुछ उनलोगों केहाथआया उसकी धर्ष ा। उड़ा दो गयी। तब तक एक मजबूत ऊंचा-पूरा आदमी आया और उसने मुँहपरएक चाँटा लगाकर पीछे सेमुमेऐसी जोर

से ल्ञात जमायी कि मुझे चक्षर आना गया । मेंगिर ही रहा था

कि रास्ते के नजदीक वाले किसी मकान के कम्पाउंट की ताली मेरे हाथ में आ गयी ।मैंनेजरादमलिया और शाँखों की अपि'

यारी कम होते ही फिर आगे बढ़ा |जिंदा घर को पहुँचने की आशा तो लगभग मैंतेछोड़ ही दी थी। पर इतना तो मुझे अब

भी याद पढता हैकि इस वक्त भी मेरा हृदय उन मारनेवालों को जरा भी दोष न देता था।

इस प्रकार मैंधीरे-धीरे अपना रास्ता तय कर रहा

था कि इतने हीमेंउबेन के पुलिससुपरिन्टेन्डेन्ट कीऔरत साम नेसे जारहीथी। हम एक दूसरे छो अच्छी तरद जानते थे।यह भहिल्ा बढ़ीबद्दादुर थी। यद्यपि आकाश में कुछ-कुछ मेष ये

सूयसीअत्तहोले हीकोथा,तोभीउसने भेरी रक्षा के लिए अपना छात्रा खोल्न उसे भेरे सिर पर कर भेरे साथ-साथ

चक्षने लगी | स्ली-जाति का अपमान और सो भी ढर्वस के

घुराने भर लोकप्रिय कोतवाल्ञ को धरम-पत्ती का अपमान तो थोरे कभी

नह्ों कर सकते थे। वेतो उसे अरा भी चोट नहीं पहुँचा सकते थे ।इसलिए उसेवचा कर मुझ पर जो अद्ार होता चह तो यों ही दका-सा होता। इधर इस आक्रमण की खबर सुपरिल्‍्टेन्डेन्ट सक जा पहुँची। फौरन उन्होंने भेरी रक्षा