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/ दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह

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जायेंगे । उत्तेज्ञित होकर आपने पुलिस की सत्ता- फो नहीं

माना, इसमें पुलिस की नहीं, आप की दी वदनामी है। इसीलिए पुलिस को आपके साथ चालबाजी से काम लेना पड़ा। आपके

शिकार को वह आपके बीच मेंसे निक्राल ले गयी और आपको “हरा दिया । इसमें आपको पुलिस को ज़रा भो दोष न देना

चाहिए, जिस पुज्षिस को आपसे बनाया है. उसो ने इसमें अपने कर्तव्य का पान किया है।”

यह तसास वानचीत सुपरिन्टेन्डेन्ट नेइतती मधुरता, दवा

और छूता के साथ की कि लोगों नेउसे वह वचन भी दे दिया। कमेटो बन्ती। उसने पारसी रुश्तमजीं के मकान को

कोना-कोना ढूँढ ढात्ा और लोगों से आकर कद दिया कि

घुपरिन्टेन्डेन्ट कीचावसचहै। उसने हमेंहरा दिया । ज्ोग निराश दो हुए |पर अपने वचन पर भी फायम रहे। किसी का इुछ नुकसान न किया ।सीये अपने अपने घर को चल्लेंगये। उस दिन जनवरी सन्‌ १५६७ को तेरदवीं तारीख थी।

उ्तो दिन सब मुसाफिरों पर अतिवन्ध दूर हुआ था कि

फौरन ही उर्वन के एक समाचारपत्र का रिपोर्टर मेरे पास आया।

वह सब बातें भुमसे पूछ गया था। मुझ पर जो आरोप किया गया था, उनका स्पष्टीकरण करना विज्ञकुज्ञ आसान था। तमाम

उद्दाहरण ले ले कर मैंने यह दिखा दिया कि मैंने उसमें तिक्षमात्र भीअशयुक्ति सेकाम नहीं जिया । जो कुछ भो मैंने किया वह मेरा घमम था। अगर मेंवद न करता तो में भनुष्य-जात्ति मेंगिने जान लायक न रहता । येतमाम समावार भी दूसरे दिन प्रका-

शिव हो गये, भर सममदार गोरों नेअपना

'अयूत कर लिया | ममाघापपत्रों नेनेशल को परिस्थितिअपना दोप के विपय में अपने शर्दिक भाव प्रकट किये ;पर साथ ही मेरे कार्यों का भी