पृष्ठ:दलित मुक्ति की विरासत संत रविदास.pdf/१३०

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आवैगी नींद कहा लगु सोवउ ॥ 1 ॥ जोई जोई जोरिओ सोई सोई फाटिओ । झूठे बनिज उठि गई हाटिऔ ॥ 2 ॥ कहु रविदास भइओ जब लेखो । जोई जोई कीनो सोई सोई देखिओ ॥ 3 ॥ - पेठ । कवन - कौन सी । परम गते – मोक्ष । जोरिओ - संबंध जोड़ा। फाटिओ- - फट गया, बिछुड़ गया । बनिज - व्यापार | हाटिओ-हाट, बिनु देखे उपजै नहीं आसा। जो दीसै सो होइ बिनासा । बरन सहित जो जापै नामु । सो जोगी केवल निहकामु ॥ 1 ॥ परचै रामु रवै जउ कोई । पारसु परसै दुविधा न होई ॥ 1 ॥ रहाउ ॥ सो मुनि मन की दुबिधाखाइ । बिनु दुआरे त्रै लोक समाइ ॥ मन का सुभाउ सभु कोई करै । करता होइ सु अनभै रहै ॥ 2 ॥ फल कारन फूली बनराइ । फलु लागा तब फूलु बिलाइ ॥ गिआनै कारन करन अभिआसु । गिआनु भइआ तह करमह नासु ॥ 3 ॥ धृत कारन दधि मथै सइआन । संत रविदास वाणी / 133