पृष्ठ:दलित मुक्ति की विरासत संत रविदास.pdf/४०

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स्थापित किया था। तत्कालीन समाज में व्याप्त रूढ़िवादी तत्त्वों ने इन संतों का विरोध किया था। साम्प्रदायिक सद्भाव संत रविदास व अन्य संतों की वाणी का अपरिहार्य संदेश है, जो आज भी प्रासंगिक है और आज के समाज के बारे में इस समस्या पर विचार करने पर विवश करता है और मानवता के पक्ष को मजबूत करने के लिए साम्प्रदायिक तत्वों का विरोध करने की प्रेरणा देता है। संदर्भ 1. कुंवरपाल सिंह (सं.); भक्ति आंदोलन : इतिहास और संस्कृति, पृ.64; (सुवीरा जायसवाल का लेख, प्राचीन काल में भक्ति का स्वरूप: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य) संत रविदास धर्म और साम्प्रदायिकता / 43