पृष्ठ:दलित मुक्ति की विरासत संत रविदास.pdf/८५

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जन रैदास कहै बनिजरिया, तैं जनम लिया संसार बे ॥ 3 ॥ दूजै पहरे रैन दे बनिजरिया, तूं निरखन चाल्यौ छांह बे । हरि न दामोदर ध्याइया बनिजरिया, तैं लेय न सक्का नांव बे ॥ 4 ॥ नांव न लीय औगुन किया, जस जोबन दै तान बे अपनी पराई गिनी न काई, मंद करम कमान बे ॥ 5 ॥ साहिब लेखा लेसी तूं भरि देसी, भरि परे तुझ तांह बे । जन रैदास कहै बनिजरिया, तू निरखन चला छाह ॥ 6 ॥ तीजे पहरे रैन दे बनिजरिया, तेरे ढिलढ़े पड़े पिय प्रान बे । काया रवनि का करै बनिजरिया, घट भीतर बसे कुजान बे ॥ 7 ॥ एक बसै कायागढ़ भीतर, पहला जनम गंवाय बे । अबकी बेर न सुकिरिन कीया, बहुरि न यह गढ़ पाय बे ॥ 8 ॥ कंपी देह काया गढ़ खाना, फिरि लागा पछितान बे। जन रैदास कहैं बनिजरिया, तेरे ढिलढ़े पड़े प्रान बे ॥ 9 ॥ चौथे पहरे रैन दे बनजरिया, तेरी कंपन लागी देह बे । साहिब लेखो मांगिया बनिजरिया, तेरी छाड़ि पुरानी थेह बे ॥ 10 ॥ छाड़ि पुरानी जिद्द अजाना, बालदि हांकि सबेरियां बे । • आये बांधि चलाये, बारी पूरी तेरियां बे॥11॥ जम पंथ अकेला बराउ हेला, किसकी देह सनेह बे। जन रैदास कहै बनिजरिया, तेरी कंपन लागी देह बे ॥ 12 ॥ रैन— रात । बनिजरिया - व्यापारी, जीवात्मा से अभिप्राय है । सेवा चूकी- सेवा में त्रुटि हुई। पाल - नाव की पाल, नाव के मस्तूल के साथ बंधा हुआ कपड़ा जिसमें हवा भरने से नाव चलती है। थांभि न सक्का - न संभाल सका। निरखन- देखना, तलाश करना । दामोदर- कृष्ण रूप में भगवान का नाम । जस - यश | साहिब – परमात्मा । लेसी - लेगा | देसी- देगा । ढिलढ़े पड़े – शिथिल हो गये। - - कुजान – कुकर्म करने वाला जीव । कायागढ़ - काया रूपी किला । बालदि- - - बैल । सबेरियां - प्रातः समय | पूरी - पूरी हो गई । बराउ – बड़ा | हेला - कठिन | - - । - 88 / दलित मुक्ति की विरासत: संत रविदास