पृष्ठ:दासबोध.pdf/१३९

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दासबोध। [दशक ३ आदि झड़ न्यायालय से दण्ड भी पाता है, तो भी अपनी चाल नहीं छोड़ता ॥१५॥ परस्त्री देख कर उसे कामेच्छा हो आती है और अकर्तव्य करके फिर कष्ट भोग करता है ॥ १६ ॥ बड़ा पाप करता है, शुभ-अशुभ कुछ नहीं विचारता है और अकस्मात् महा रोगी बन जाता है ॥ १७ ॥ क्षयरोग से पीड़ित होकर अपने पापों का भोग करता है ॥ १८ ॥ रोग के कारण लारा शरीर फूट निकलता है, नाक बैठ जाती है, सारे लक्षण कुलक्षण हो जाते हैं ॥ १६॥ देह में क्षीणता आ जाती है, अनेक व्यथाएं पैदा होती हैं, तारुण्य-शक्ति एक ओर रही; प्राणी बिलकुल सूख जाता ॥ २० ॥ सारे शरीर में पीड़ा उठती है, देह की दुर्दशा हो जाती है, प्राणी थर थर कांपने लगता है, शक्ति नहीं रह ॥२१॥ हाथ जाते हैं, सारे शरीर में कीड़े पड़ जाते हैं, उसे देख कर छोटे बड़े, सब लोग, बूंकने लगते हैं ॥ २२ ॥ पेट चलने लगता है, चारों ओर दुर्गन्धि उठती है, प्राणी की बिलकुल. दुर्दशा हो जाती है; पर तो भी प्राण नहीं जाते! ॥ २३ ॥ कहता है कि "हे ईश्वर, अब मौत दे; जीव को बहुत कष्ट हुए ! न जाने कितना पाप किया है!" ॥ २४ ॥ दुख से फूट फूट कर रोता है और ज्यों ज्यों शरीर की ओर देखता है त्यो त्यों दीनता से जी में तड़फ- डाता है ॥ २५ ॥ इस प्रकार अनेक कष्ट पाता है-सब दुर्दशाएं हो जाती हैं, बदमाश लोग डाका डाल कर सब धन ले जाते हैं ! ॥ २६ ॥ इहलोक या परलोक कुछ नहीं बनता, विचित्र प्रारब्ध श्रा उपस्थित होता है, अनेक घृणोत्पादक दुःख भोगता है ॥ २७ ॥ अन्त में, पाप की सामग्री समाप्त होने पर दिनों दिन व्यथा दूर होती जाती है, वैद्य लोग ओषधियां देते हैं, आराम होता है ॥२८॥ मरते मरते बचता है, लोग कहते हैं कि " इसका फिर जन्म हुआ और मनुष्यों में मिला" ॥ २६ ॥ इतना होने के बाद, अपनी दूसरी स्त्री को विदा करा लाता है, अच्छी गृहस्थी जमाता है; परन्तु स्वार्थबुद्धि फिर भी नहीं छोड़ता ॥ ३० ॥ कुछ धन कमाता है, सब वस्तुएं एकत्र करता है; परन्तु सन्तान न होने के कारण घर को डूबा हुआ समझता है ॥ ३१ ॥ पुत्र-सं- तान न होने के कारण दुखी होता है, स्त्री, लोगों में बांझ कहलाती है। अंब, सोचता है कि लड़कानसही; लड़की ही हो-जिससे 'बांझ' नाम तो मिट जाय ! ॥ ३२॥ अतएव सन्तान होने के लिए नाना प्रकार के उपाय करता है, बहुत से देवताओं के मानगन करता है-तीर्थ, उपवास और अनेक पाखंडी व्रत आरम्भ करता है ॥ ३३ ॥ विषयसुख तो एक ओर रहा, अब बाँझपन के दुख से वह दुखी होता है-तब कहीं जाकर कुल