पृष्ठ:दासबोध.pdf/२५८

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समास ३] चौदह मायिक,ब्रह। १७७ अनंत, अपरम्पार, अदृश्य, अतक्र्य, अपार नाम हैं ॥४६॥ नादरूप, ज्योति- रूप, चैतन्यरूप, सत्तारूप, साक्षरूप, सत्स्वरूप भी उसीके नाम है ॥४७॥ शून्य, सनातन, सर्वश्वर, सर्वज्ञ, सर्वात्मा और जगजीवन भी उस ब्रहा ही को कहते हैं ॥४८॥ सहज, सदोदित, शुद्ध, बुद्ध, सर्वातीत, शाश्वत और शब्दातीत उसीको कहते है ॥ ४६॥ विशाल, विस्तीर्ण, विश्वम्भर, विमल, वस्तु, व्योमाकार, श्रात्मा, परमात्मा, और परमेश्वर उसीके नाम हैं ॥५०॥ जगदात्मा, ज्ञानघन, एकरूप, पुरातन, चिद्रप और चिन्मात्र भी उसी अनामी के नाम हैं ॥५१ ॥ ऐसे असंख्यों नाम हैं; परन्तु वह परेश नामातीत है | उसका निश्चित अर्थ करने के लिए ही ये नाम रखे गये हैं ॥५२॥ वह विश्रान्ति का भी विश्राम है, आदिपुरुप और आत्माराम है-वह एक ही परब्रह्म है-दूसरा नहीं है ॥ ५३ ॥ . अस्तु, अव चौदह ब्रह्मा के लक्षण, शास्त्र के अाधार से, बतलाते हैं। इनमें से झूठे झूठे ब्रह्मों को अलग कर देने से सत्य ब्रह्म का पता लग जायगा ॥ ५४॥५५ ।। तीसरा समास-चौदह मायिक ब्रह्म । ॥ श्रीराम ॥ श्रोतागण सावधान हो जायँ; क्योंकि अब वह ब्रह्मज्ञान बतलाते हैं जिससे साधकों को समाधान होगा ॥१॥ जैसे रत्न ढूंढ़ने के लिए पहले मिट्टी बटोरनी पड़ती है, उसी प्रकार, सत्य ब्रह्म का निश्चय होने के लिए, इन चौदह मायिक ब्रह्मों के लक्षण यहां बतलाये जाते हैं ॥२॥ पदार्थ के बिना संकेत (चिन्ह या नामनिर्देश), द्वैत के बिना दृष्टांत और पूर्वपक्ष के दिना सिद्धान्त बतलाये ही नहीं जा सकते ॥३॥ इस लिए पहले मिथ्या वातें उठाना चाहिये, फिर उन्हें परख परख कर छोड़ते जाना चाहिए । इसके बाद सत्य वात सहज ही अन्तःकरण में आ जाती है ॥ ४ ॥ अस्तु । अब चौदह ब्रह्मा का वर्णन करते हैं । श्रोता लोगों को सावधान हो जाना चाहिए । यह वर्णन सुनने से सत्य सिद्धान्त मालूम हो जायगा ॥५॥ श्रुति के अनुसार चौदह ब्रह्मा के नाम ये हैं:-(१) शब्दब्रह्म; (२) श्रोमित्येकाक्षरब्रह्म; (३) खंब्रह्म; (४) सर्वब्रह्म (५) चैतन्यब्रह्मः (६) सत्ताब्रह्म; (७) साक्षब्रह्म (८) सगुणब्रह्म; (६) निर्गुणब्रह्मा (१०)