पृष्ठ:दासबोध.pdf/४४९

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३७० दासबोध। [दशक १४ वह चतुर है और जो अन्यायी है वह नीच है ! नाना चतुराइयों के चिन्ह चतुर ही जानता है ॥ १३ ॥ सर्वमान्य बात को सभी ग्रहण करते है; और निन्दनीय बात को कोई पसन्द नहीं करता ॥ १४॥ लोग तुम्हारे ऊपर प्रसन्न रहें या सभी लोग तुम्हारे ऊपर टूट पडें ? ( इन दो बातों में से तुम को कौन पसंद है ?) जिससे तुमको समाधान मिले वह बात करना चाहिए ॥ १५ ॥ समाधान से समाधान बढ़ता है, मैत्री से मैत्री जुड़ती है और नाश करने से क्षण भर ही में भलाई का नाश हो जाता है ॥१६॥ 'अहो' का उत्तर ' क्यों हो' और 'अरे' का उत्तर 'क्यों रे' रोज रोज सुनते हो या नहीं ? यह बात मालूम होते हुए भी, फिर, निकम्मापन क्यों ? ॥ १७॥ चातुर्य से हृदय की शोभा होती है और वस्त्र से शरीर की शोभा वनती है; अब भला देखो तो कि, इन दोनों में श्रेष्ठ शृंगार कौन है ? (भीतर का शृंगार श्रेष्ट है या बाह्य शृंगार ?) ॥ १८ ॥ बाहरी शृंगार से लोगों का क्या लाभ है ? चातुर्य से तो वहुतों की, नाना प्रकार से, रक्षा होती है ॥ १६ ॥ अच्छा खाना, अच्छा पीना, अच्छा पहनना और सब में अच्छा कहाता सब चाहते हैं ॥२०॥ परन्तु जब तक तन-सन से परिश्रम नहीं करते तब तक कोई प्रशंसा नहीं करता । व्यर्थ संकल्प-विकल्प में पड़ने से कष्ट ही होता है ॥२१॥ लोगों का रुका हुआ कार्य जिसके द्वारा होता है उसके पास लोग स्वाभाविक अपने काम के लिए जाते ही हैं ॥ २२ ॥ इस लिए दूसरे को सुखी करके उससे स्वयं भी सुखी होना चाहिए । दूसरे को दुःख देने से अपने को भी कष्ट उठाना पड़ता है ॥ २३ ॥ यह बात है तो प्रगट ही; पर विचार किये बिना काम नहीं चलता । प्राणिमात्र के लिए 'समझना' ही एक उपाय है ॥ २४ ॥ जो समझ-बूझ कर बर्ताव करते हैं वहीं पुरुष भाग्यवान् कहलाते हैं, उन्हें छोड़कर बाकी सब अभागी हैं ॥ २५ ॥ जैसा व्यापार किया जाता है वैसा ही वैभव मिलता है और जैसा वैभव मिलता है वैसा ही सुख मिलता हैं । उपाय प्रगट ही है, समझना चाहिए ॥ २६ ॥ श्रालस से कार्य नाश होता हैं, प्रयत्न धीरे धीरे होता है। जिसे प्रत्यक्ष वात नहीं जान पड़ती वह कैसा सयाना है ? ॥ २७ ॥ मित्रता करने से काम बनता है और वैर करने से मौत होती है। यह बात सत्य है या असत्य-सो पहचानना चाहिए ॥ २८॥ जो अपने को चतुर वनाना नहीं जानते, जो स्वयं अपना हित नहीं जानते और जो 'लोगों से मित्रता रखना नहीं जानते; किन्तु वैर करते हैं, उन्हींको अज्ञान कहते हैं। ऐसे लोगों के पास कौन समाधान पा सकता है ? ॥२६॥३०॥.