पृष्ठ:दासबोध.pdf/५३७

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समास १.] श्रवण-विक्षेप। ४५६ करना चाहिए-अपनी धारणागति से परमात्मा को धारण करना चादिप और मनुष्यमात्र को अपना समझाना चाहिए ॥ ४७ । एकान्त में विवेक सूझता है: एकान्त में यल मिल जाता है और एकान्त में तर्कनाशनि तमाम ब्रह्मांड पर मँडरानी है ॥४८॥ एकान्त में स्मरण करने से भूला तुझा बजाना भी मिल जाता है । एकान्त में बैंठ कर अन्तरात्मा के साथ कुछ न कुछ विचार करना चाहिए ॥ ४६॥ जिन्ले एकान्त पसन्द श्रा गया उसका कार्य नब से पहले सिद्ध हो जाता है। बिना एकान्त के महत्त्व नहीं मिल सकता।। ५०॥