पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/१००

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'प्रिश्न तासीर से नौमीद नहीं जाँ सुपारी शजर - ए - बेद नहीं सल्तनत दस्त बदस्त आई है जाम-ए-मै, ख़ातम-ए-जमशेद नहीं है तजल्ली तिरी सामान-ए-वुजूद जरीः बे परतव-ए-खुरशीद नहीं राज-ए-मा शूक न रुखा हो जाये वनः मर जाने में कुछ भेद नहीं गर्दिश -ए-रंग-ए-तरब से डर है राम-ए-महरूमि-ए-जावेद नहीं कहते हैं, जीते हैं उम्मीद प लोग हम को जीने की भी उम्मीद नहीं जहाँ तेरा नक्श-ए-क़दम देखते हैं ख़ियाबाँ ख़ियाबाँ इरम देखते हैं