पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२२

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चन्द तस्वीर-ए-बुताँ, चन्द हसीनों के ख़ुतूत
बा‘द मरने के मिरे घर से यह सामाँ निकला

१०



दो रँगियाँ यह ज़माने की जीते जी हैं सब
कि मुर्दोंं को न बदलते हुये कफ़न देखा

११



दम - ए - वापसीं बर सर-ए-राह है
‘अज़ीज़ो, अब अल्लाह् ही अल्लाह है

१२



है कहाँ, तमन्ना का दूसरा क़दम, यारब
हमने दश्त-ए-इम्काँ को, एक नक़्श-ए-पा पाया