पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/४५

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कम नहीं, नाजिश-ए-हमनामि-ए-चश्म-ए-खूबाँ तेरा बीमार, बुरा क्या है, गर अच्छा न हुआ सीने का दारा है, वह नाल: कि लब तक न गया ख़ाक का रिक है, वह क़तर: कि दरिया न हुआ काम का मेरे है, वह दुख कि किसी को न मिला काम में मेरे है, वह फ़ितन: कि बरपा न हुआ हर बुन-ए-मू से, दम-ए-जिक्र, न टपके खूनाब हमज: का किस्स: हुअा, 'अिश्क का चरचा न हुआ क़तरे में दजल: दिखाई न दे, और जुज्व में कुल खेल लड़कों का हुआ, दीद:-ए-बीना न हुआ थी ख़बर गर्म, कि गालिब के उड़ेंगे पुर्जे देखने हम भी गये थे, प तमाशा न हुआ X असद, हम वह जुनूं जौलाँ गदा-ए-बेसर-श्री-पा हैं कि है सर पन्ज:-ए-मिशगान-ए-अाहू, पुश्त-ए-ख़ार अपना