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चाण्डाल से भी बदतर-समाप्त

दूसरी बात १ अक्टूबर १९२५ की संख्या से ली गई है:-

"हमको रोमन-कैथलिक की पोप-मण्डली पर पुनः आक्रमण करना पड़ रहा है। क्योंकि वह अपने स्वार्थ-पूर्ण उद्देश्यों को सिद्ध करने के लिए लगातार यह उद्योग कर रही है कि हम लोग यह विश्वास करने लगे कि अमरीका का अन्वेषण क्रिस्टोफर कोलम्बस ने किया था। इस प्रकार छल से वह अपना पैतृक अधिकार जमाना चाहती है जो कि वास्तव में प्रोटेस्टेंट लोगों का है। क्योंकि इस महाद्वीप का अन्वेषण बीफ एरिस्कन ने १००० ईसवी में किया था।"

इस पर एम॰ सीगफ़्रीड हास्यपूर्ण व्यङ्ग करते हैं कि १००० सन् में तो प्रोटेस्टेंट थे ही नहीं। इसलिए लीफ़ एरिस्कन कैथलिक ही रहा होगा। इस प्रसङ्ग को पाठकों को और अच्छी तरह समझाने के लिए यहाँ यह बता देना आवश्यक है कि एक बार (गत शताब्दी के अन्त में) पोप की ओर से एक झूठी चिट्ठी उपस्थित की गई थी जिसमें पोप से यह दावा कराया गया था कि अमरीका का पता लगानेवाला कोलम्बस कैथलिक था। इसलिए समस्त अमरीका कैथलिक-सम्प्रदाय का है।

यह विवाद बड़ा मनोरञ्जनमय है। इस बात की कल्पना बड़ी सरलतापूर्वक की जा सकती है कि जिस प्रकार भारतवर्ष में ब्रिटिश हैं वैसे ही यदि यहाँ भी कोई तीसरा दल होता तो क्या कैथलिक और क्लान के लोग हिन्दू-मुसलमानों से भी अधिक भयङ्कर रूप धारण करके न लड़ते?

एक असम्बद्ध बात मानी जायगी। परन्तु इस विषय से जो बात विशेष सम्बन्ध रखती है वह यह पूछना है कि क्या चाण्डालों के प्रति ब्राह्मणों का जो बर्ताव था वह हबशियों के प्रति अमरीका के कान से भी अधिक अन्याय-युक्त और निर्दयतापूर्ण था?

अभी एक ऐसी जाति का वर्णन करना और शेष रह गया है जिसके ऊपर भी श्रमरीका में अछूतों के ही समान निर्दयतापूर्ण बर्ताव किया जाता है। यह जाति रेड इंडियन की है। बारप के लोगों ने जब से अमरीका का पता लगाया है तभी से इन लोगों को उस देश के जङ्गली भैंसों और अन्य पशुओं की भांति नष्ट करना प्रारम्भ कर दिया है। इसका सरकार और नागरिक दोनों ने कोई विवरण नहीं रक्खा।