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पश्चिम में कामोत्तेजना

का विज्ञापन है जिनका मूल्य ५ से १० फ़्रेंक तक प्रति पुस्तक है। ये पुस्तकें इतनी अश्लील हैं कि इनका नाम भी मैं यहाँ देना उचित नहीं समझता। कुछ पुस्तकें ऐसी भी हैं जो ६०,१०० और १५० क प्रति के हिसाब से बेची जाती हैं। अश्लील पुस्तकों के एक विशेषरूप से प्रचलित सूचीपत्र में केवल एक ही लेखक की २२ पुस्तकों का विज्ञापन है। विदेशियों में फ्रांस की इन गन्दी पुस्तकों के प्रचार के लिए इटली और स्पेन मुख्य केन्द्र हैं। 'मैडरिड' से एक सूची-पत्र––नम्बर १०८––प्रकाशित हुआ है। इसमें अत्यन्त ही गन्दी २९८ पुस्तकों का विज्ञापन है। ये पुस्तकें एक फ्रैंक में ही प्रति के हिसाब से मिल जाती हैं। बड़ी पुस्तकों के दाम १० से १५ फ्रैंक तक हैं। ब्रासीलोना के एक पुस्तक-विक्रेता ने एक सूचीपत्र प्रकाशित कराया है। उसमें १०० पुस्तक-मालाओं का विज्ञापन है जो एक से एक बढ़कर गन्दी और अश्लील हैं। इस सूचीपत्र में अँगरेज़ी की जिन पुस्तकों का विज्ञापन दिया गया है वे ११३ भिन्न-भिन्न शीर्षकों में विभक्त करके दी एक प्रति २५ से लेकर २५० फ्रैंक तक में मिलती है। एक पुस्तक ६ बड़े बड़े भागों में समाप्त हुई है। इसका मूल्य १८७५ फ्रैंक हैं जो कुछ नहीं समझा जाता।"

"यह अश्लील साहित्य अपने पाठकों को और भी भड़कानेवाले प्रकाशन––अश्लील फोटो-की ओर ले जाता है। परन्तु यहाँ हम ऐसे विषय पर पहुँच जाते हैं जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता, जिसकी कथा नहीं सुनाई जा सकती और जो अश्लीलता की सीमा को पार कर जाता है।............

"यह व्यापार एक शक्तिमान् अन्तर्जातीय संघ के अधिकार में चल रहा है और ऐसा अश्लील चित्र-साहित्य बेचने में इसे बहुत ही सफलता मिलती है। क्योंकि फोटोग्राफी को भी अन्य चित्र-कलाओं की भाँति भाषा की विभिन्नता समझने से रोक नहीं सकती। पुर्तगाल, स्पेन, इटली, हालेंड, हङ्गरी, जर्मनी, बेलजियम, स्वीजरलैंड अपनी अश्लीलता और गन्दगी से फ्रांस को घेरे हुए हैं। कदाचित् इस बात में हमारा देश औरों के लिए भयोत्पादक नहीं है बल्कि स्वयं भयभीत है। पेरिस की इन पुस्तकों की दूकानों का प्रबन्ध बिना भेद-भाव के कहीं स्वयं फ्रांसीसी लोग करते हैं कहीं विदेशी लोग। एम्स्टर्डन में केवल एक दूकान ६,००० विभिन्न पुस्तकमालाएँ बेचती है। प्रत्येक में २५ फोटोग्राफ़ होते हैं। टूरिन में एक दूकान है उसकी कतिपय मालाओं की पुस्तकें ५,००,२,०००,३,००० और ७,००० फ्रैंक प्रति पुस्तक के हिसाब से बड़ी शीघ्रता के साथ विकती हैं।...... एम॰ पोर्सी लिखते हैं––'सत्य हमें यह कहने के लिए विवश करता है कि प्रति सप्ताह पेरिस के सचित्र समाचार-पत्रों की ३,००,००० से अधिक प्रतियों में ऐसे सूची-