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मिस्टर विन्सटन चर्चिल के लिए एक उपहार

ठहरा हुआ था और बालिका में आयु के अनुसार बचपन का स्वभाव विद्यमान था तथा उसका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। जब यह बालिका गर्भवती हो गई तब भण्डाफोड़ हुआ। जब अभियोग लगाया गया तब उस मनुष्य ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और कहा कि मैंने तो गर्भ न रहने के लिए पूरी सावधानी की थी। उसे चार मास की सजा हुई।"

योरपीय विषय-भाग-सम्बन्धी जीवन के सम्बन्ध में प्रसिद्ध और प्रामाणिक लेखक डाक्टर ब्लाच[१] ने 'वृद्ध लोगों के एक प्रकार के सम्भोग-सम्बन्धी पागलपने' का वर्णन किया है जो ८० वर्ष पहले इँगलैंड में प्रचलित था और जिसके कारण बच्चों का जीवन बड़ा सङ्कटमय बना रहता था।

इस अध्याय को समाप्त करने से पहले कदाचित् एक विशेष कारण अर्थात् योरप के कई एक सभ्य देशों में फैले इस अन्ध-विश्वास कि बच्चों के साथ सम्भोग करने से इन्द्रिय रोग दूर हो जाते हैं––की ओर ध्यान आकर्षित कर देना अधिक आवश्यक होगा। क्योंकि बच्चों पर किये गये आक्रमणों की एक विचारणीय संख्या का उत्तरदायित्व इसी पर है। डाक्टर ब्लाच[२] ने इसका एक बड़ा ही 'शोचनीय उदाहरण' उपस्थित किया है। 'एक किसान को गर्मी हो गई थी। उसे यह राय दी गई कि यदि वह किसी अनूठी कुमारी के साथ सम्भोग करे तो अच्छा हो सकता है। उसने खास अपनी ही पुत्री से सम्भोग किया और रोग से मुक्त होगया!!'

उस ब्रिटिश कमेटी को भी, जिसके विवरण से हम इतने उद्धरण दे चुके हैं, इस अन्धविश्वास का सामना करना पड़ा था। १ से लेकर ५ वर्ष तक के तथा ५ से लेकर १४ वर्ष तक के बालक-बालिकाओं में गर्मी और सुज़ाक के रोग पाये जाने के सम्बन्ध में यह कमेटी लिखती है:––

"कानूनी और चिकित्सा-सम्बन्धी साक्षियों पर विचार करने के पश्चात् हम इस विचार पर पहुँचे हैं कि इन छोटी बालिकाओं में सुज़ाक की बीमारी के पाये जाने का कारण यह अन्धविश्वास हैं कि अनूठी बालिकाओं से सम्भोग करने से ये रोग दूर हो जाते हैं।"


  1. वही पुस्तक
  2. उसी पुस्तक से।