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दुखी भारत

दूसरे इतिहासकारों और यात्रियों ने जिन बातों का वर्णन किया था, उन सबका एलफिन्स्टन ने उपयोग किया है। नीचे हम उसके कुछ प्रमाणों को संक्षेप में देते हैं:––

"इसमें सन्देह नहीं कि देश की साधारण स्थिति उन्नति पर थी। निकोलो डे कोंटी, जिसने लगभग १४२० ईसवी के भारतवर्ष की यात्रा की थी, गुजरात की बड़ी प्रशंसा करता है। उसने गङ्गा के किनारों को नगरों से भरा देखा था। वे नगर सुन्दर सुन्दर पुष्पों और मेवों के बगीचों से घिरे थे। महराजिया के मार्ग में उसे चार सुन्दर नगर मिले थे। महराजिया के सम्बन्ध में वह लिखता है कि वह बड़ी ही सम्पन्न नगरी थी। वह चांदी सोने और अमूल्य रत्नों से भरी थी। बारबोरा और बारतेमा ने उसके वर्णनों का समर्थन किया है। इन लोगों ने सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ-काल में भारतवर्षकी यात्रा की थी।"

"सीज़र फ्रेडरिक ने इसी प्रकार गुजरात का वर्णन किया है। इब्न बतूता ने पन्द्रहवीं शताब्दी के मध्य में, मुहम्मद तुगलक के अत्याचारी और क्रान्तिकारी शासन-काल में जब देश के अधिकांश भाग में विप्लव मचा हुआ था, भारतवर्ष की यात्रा की थी। वह बड़े बड़े धनी बस्ती के कस्बों और नगरों की गणना करता है और बताता है कि इस अशान्ति के पूर्व देश की दशा बड़ी ही उत्तम रही होगी।"

रिफार्म पैम्फलेट में मुग़ल-कालीन भारतवर्ष का वर्णन इस प्रकार दिया हुआ है[१]:––

"तैमूरलंग के पोते के राजदूत अब्दुलरियाज ने १४४२ ईसवी में दक्षिण भारत की यात्रा की थी। दूसरे निरीक्षकों से वह भी इस विषय में सहमत है कि तब यह देश बड़ी उन्नत्ति पर था। खानदेश का राज्य तब अपने खास शासक के अधीन बड़ी उन्नति कर रहा था। उस समय वहीं खेती की सिंचाई के लिए पानी की अनेक धाराओं के मुँह पर पत्थर के बाँध यह कार्य भारतवर्ष के किसी भी औद्योगिक और योग्यता के कार्य की समता कर सकता है।"

"बाबर भारतवर्ष को धनी और उच्च कोटि का देश कहता है। और इसकी घनी बस्ती और हर एक भाँति के अनेक कारीगरों को देखकर आश्चर्य प्रकट करता है।"


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