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सुधारों की कथा

यंत्र का आधुनिक अनुभव के प्रकाश में पुनर्निर्माण न करेंगे तो मैं विश्वास करता हूँ और ठीक विश्वास करता हूँ कि आप भारतीय साम्राज्य के भविष्य-निर्माण करने का अपना अधिकार खो बैठेंगे।"

इसी बीच में युद्ध एक भयानक रूप धारण कर रहा था! जाने के निकट पहुँच गया था। जान पड़ता था कि यदि भारतवर्ष से मनुष्यों और रुपयों से सहायता न ली गई तो मित्रराष्ट्र मैदान खो देंगे। लायड़ जार्ज ने निश्चय किया कि क्या करना चाहिए। उन्होंने मांटेग्यू को भारत मन्त्री नियुक्त कर दिया और उन्हें २० अगस्त १९१७ की निम्नलिखित घोषणा करने का अधिकार दे दिया:––

"हिज़ मैजेस्टी के सरकार की नीति, जिससे कि भारत सरकार भी पूर्ण रूप से सहमत है, यह होगी कि शासन के प्रत्येक विभाग में भारतवासियों के सहयोग की वृद्धि की जाय और ब्रिटिश साम्राज्य के एक अभिन्न भाग की भाँति भारतवर्ष में उत्तरदायित्वपूर्ण शासन स्थापित करने के लिए स्वतः शासन करनेवाली संस्थाओं का क्रमशः विकास किया जाय। इस लोगों ने यह निश्चय किया है कि जितनी शीघ्र हो सके इस और ठोस रूप से कदम बढ़ाना चाहिए और यह बात अत्यन्त महत्व की है कि ये कदम क्या होगे इस पर आरम्भिक विचार करने के लिए इंगलैंड के अधिकारियों और भारतवर्ष में स्वतन्त्र और शुद्ध विचारों का आदान-प्रदान हो। इसी के अनुसार हिज मैजेस्टी की सरकार ने, हिज़ मैजेस्टी की स्वीकृति से यह निश्चय किया है कि मैं भारतवर्ष जाने के लिए वायसराय का निमन्त्रण स्वीकार कर लू और वहाँ जाकर वायसराय से और भारत सरकार से इन बातों पर वाद-विवाद करूँ और वायसराय के साथ स्थानिक सरकारों की सम्मतियों पर विचार करूँ और उसके साथ प्रातिनिधिक संस्थाओं और दूसरों की सम्मतियाँ प्राप्त करूँ।

"मैं यह कह देना चाहता हूँ कि इस नीति में उन्नति क्रम से ही प्राप्त हो सकती है। ब्रिटिश सरकार और भारत सरकार ही, जिन पर भारत निवासियों की भलाई और उन्नति का उत्तरदायित्व है, प्रत्येक सुधार के समय और मात्रा का निर्णय देंगी। और वे अवश्य ही उनका सहयोग प्राप्त करने पर आगे बढ़ेगी जिनको इस प्रकार नबीन अधिकार ग्रहण करने का अवसर प्रदान किया जायगा और यह उस सीमा तक किया जायगा जहाँ तक यह देखा जायगा कि उनके उत्तरदायित्व के भाव में विश्वास किया जा सकता है।"