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दुखी भारत

बर्मा समुद्र तट पर थे इसलिए अँगरेज़ों को इन पर बिना पूर्णरूप से राजनैतिक शासन और प्रभावशाली सनिक आधिपत्य प्राप्त किये सन्तोष नहीं हो सकता था। परन्तु 'सुरक्षा' के भाव का एक बार आरम्भ हो जाने पर फिर उसका अन्त नहीं होता। भोग करने में भोग की कामना और भी उद्दीप्त होती है। जब गत महायुद्ध आरम्भ हुआ तब ग्रेट ब्रिटेन दक्षिणी फ़ारस में अपनी रक्षा करने के लिए घुसा; फ़ारसवासियों की अनुमति से नहीं बल्कि रूस के साथ सन्धि करके। अफगानिस्तान को ब्रिटिश-आधिपत्य स्वीकार करने के लिए विवश किया गया। मिस्त्र में वहाँ के निवासियों की अनुमति से नहीं बल्कि फ्रांस के साथ सन्धि करके ग्रेटब्रिटेन ने नाइल पर अधिकार कर लिया। और तब तक सन्तोष नहीं हुआ जब तक वह अधिकार नाइल के उद्गम तक नहीं पहुँच गया।

"जिस प्रकार बिलूचिस्तान के भारतवर्ष में सम्मिलित कर लिये जाने पर दक्षिणी फ़ारस के ऊपर स्वभावतः अधिकार जम गया उसी प्रकार बर्मा के सम्मिलित कर लिये जाने पर ब्रिटिश राज्य का विस्तार स्याम की क्षति करके किया जाने लगा। १९०९ ईसवी में ग्रेटब्रिटेन ने स्याम की किलान्तन, त्रिंगनू और केदा नामक तीन रियासतें उससे छीन कर बङ्गाल की खाड़ी के किनारे पर अपना प्रभुत्व जमाया। स्थल की ओर से भारत को सुरक्षित रखने के लिए जङ्गली जातियों को‌ सेनायें भेजकर दण्ड दिया गया जिससे वे रक्षित रियासतों पर आक्रमण न करें। जो नये प्रदेश जीते गये वे रक्षित रियासतो के रूप में बदल गये। इस प्रकार जब तक ब्रिटिश राज्य महान् पार्वत्य सीमा तक नहीं पहुँच गया तब तक यही क्रिया जारी रही।

"भारतवर्ष की सीमा पर केवल तीन ही स्वतंत्र राज्य शेष रह गये हैं। नेपाल, भूटान और अफगानिस्तान। पर वास्तव में ये राज्य भी स्वतंत्र नहीं हैं। इनके हाथ-पाँव भारत सरकार के साथ बँधे हुए हैं। नेपाल में अँगरेज़ रेजीडेन्ट सौ वर्ष से रह रहा है। भारतीय सेना में प्रबल गोरखा जाति से सिपाही भर्ती करने के लिए अँगरेज़ों को पूर्ण स्वतंत्रता के साथ आज्ञा प्राप्त है। और नेपाल का प्रधान सचिव, जिलके हाथ में वहाँ की सर्वशक्ति है, ब्रिटिशसेना का लेफ्टिनेंट जेनरल है। अफगानिस्तान और भूटान के शासकों को अच्छे व्यवहार के लिए खूब आर्थिक सहायता दी जाती। इस 'अच्छे व्यवहार' का अर्थ है केवल वही करना जिसके लिए ब्रिटिश सरकार कहे और बाह्य जगत् के साथ केवल उसी की मार्फ़त सम्बन्ध स्थापित करना[१]।१८६४


  1. अफगानिस्तान के सम्बन्ध में अब स्थिती बिल्कुल बदल गई है।