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दुखी भारत


उतना ही मानता है जितना उसका दरिद्र पड़ोसी मेक्सिको। और जापान में इसका उतना ही मान है जितना पश्चिमीय देशों में। इसमें सन्देह नहीं कि स्वतन्त्र भारत भी इस सिद्धान्त से विमुख न होगा। पश्चिमीय देशों की जनता को जैसे निरक्षरता और मूर्खता से प्रेम नहीं है वैसे ही भारत को भी नहीं है। पर यह स्वीकार करना पड़ेगा कि पश्चिम की भाँति बिना अनिवार्य्य शिक्षा हुए सम्पूर्ण भारत शिक्षित नहीं हो सकता।