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मुरशिदाबाद

अधिकारियों के अपराध की गुरुता को कम करने के इरादे से हाल-वेल साहब ने इस झूठी कहानी की सृष्टि की। इस बात को मैत्रेय बाबू ने सप्रमाण सिद्ध करने की चेष्टा की है और उस समय के अँगरेज़ी कागज़ पत्रों से यह साबित किया है कि हालवेल साहब अन्यथावादी और घूसखोर था। उसने मीरजाफर को पदच्युत कर के मीरक़ासिम को मुरशिदाबाद का राजसिंहान दिला देने के वादे पर मीरक़ासिम से तीन लाख रुपया लिया और विलायत को झूठी रिपोर्ट कर दी कि मीरज़ाफर ने सिराजुद्दौला को माँ, मौसी और कई एक अन्य बेगमों को ढाके में कैद करके बड़ी ही निर्दयता से मरवा डाला। अतएव ऐसा अन्यायी और पापी पुरुष राज्य करने के लायक नहीं। यह रिपोर्ट बिलकुल ही झूठ थी। * १७६६ ईसवी में कलकत्ते के अंगरेज़ो दरबार ने इस बात की तहकीकात करके जो रिपोर्ट विलायत भेजा उसमें उसने इस हत्या-कहानी को सर्वथा मिथ्या बतलाया ।

  • In justice to the meinory of the late Nabab MeerJaffer, we think it incumbent on us to acquaint you that the horrible mass- acres, wherewith he is charged by Mr. Hal- well in his address to the proprietors of the East India Stock ( Page 45), are cruel aspersions on the character of that prince, Which have not the least foundation in truth.

Letter to Court of Directors,30 th. Septem- ber, 1766,Supplement.