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पृष्ठ:दृश्य-दर्शन.djvu/१५२

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नेपाल

१८८५ ईसवी में नेपाल के सरदार मण्डल में फिर विद्रोह हुआ। उसमें उस समय के मन्त्री,और जङ्गबहादुर के एक बेटे और एक पोते की जान गई। विद्रोह-कर्ता थे वीर शमसेर जङ्ग राना । शिरच्छेद करने में राक्रम दिखला कर आपने मन्त्री का आसन छीन लिया। तब से आप नेपाल के हर्ताकर्ता हुए। आपको के० सी० एस० आई० का खिताब भी मिला।

नेपाल के वर्तमान नरेश, महाराजाधिराज, और मन्त्री दोनों बहुत योग्य हैं। गत वर्ष तिबत-मिशन को नेपाल से बहुत मदद मिली थी। इस उपलक्ष्य में अँगरेज़ी गवर्नमेण्ट ने मन्त्रीजी को जी० सी० एस० आई० की उपाधि से अलंकृत किया है। २६ अप्रिल,१६०५, को काठमाण्डू में एक दरबार किया गया। उसमें महाराज चन्द्रशमशेर जङ्गु राना बहादुर को रेज़िडेंट साहब ने इस पदवी का सूचक पदक पहनाया। यही राना बहादुर आज कल नेपाल के मन्त्री हैं। दरबार में महाराजाधिराज भी पधारे थे। आपने रेज़िडेंट साहब की अभ्यर्थना उठ कर की थी और एक वक्तृता भी दी थी। आप की वक्तृता को आपके राज-गुरू ने पढ़ कर सुनाया था।

नेपाल के वर्तमान नरेश महाराजाधिराज पृथ्वी वीर विक्रम-शमशेर जङ्गबहादुर शाह का जन्म ८ अगस्त, १८७४, को हुआ था। १७ मार्च १८८१, को आप अपने पितामह की गद्दी पर बैठे थे। आप बहुत रूपवान और गुणवान हैं। आप अँगरेज़ी खूब लिख पढ़ सकते हैं और बोलते भी हैं। आप महाराज जङ्ग बहादुर के दौहित्र हैं।

[जुलाई १९०५]