पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३०५

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8 ज्यो-अगर खयर न होती तो पीछे पीछे दौडा हुआ यहा तक क्यों आता । बदी-फिर भी आपके हाथ से तो चोर निकल ही गया था अगर इस समय हम न पहुच जात तो आप इसे न पा सकते। ज्यो-हा बेशक इसे मैं मानता है। क्या आप पहिचानते है कि यह कौन है ? याद आता है कि इस औरत को मैने कभी देखा है। बदी-जरूर देखा होगा खैर इसे तहखाने में ले चलो फिर देखा जायेगा। इसका तहखाने से खाली हाथ निकलना मुझे ताज्जुब में डालता है। ज्यो-यह खाली हाथ नहीं बल्कि हाथ साफ करके आई है। इसके पीछे आती समय एक लाश मेरे पैर में अडी थी मगर पीछा करने की धुन में मैं कुछ जाच न कर सका । पण्डित बद्रीनाथ और ज्योतिषीजी उस औरत को गिरफ्तार किए हुए तहखान में आये और उस दालान या गरइदरी में जिसमें दारागा साहय की गद्दी लगी रहती थी. पहुचे। उस औरत को खम्भे के साथ बाध दिया और हाथ में लालटेन ले उस लाश को देखने गये जो ज्योतिषीजी के पैर में अड़ी थी। बदीनाथ ने देखते ही उस लाश को पहचान लिया और बोले यह तो माधवी है । ज्योतियी-यह यहा क्योंकर आई 1(माधवी की नाक पर हाथ रखकर) अभी दम है मरी नहीं। यह देखिए इसके पेट में जख्म लगा है। जख्म भारी नहीं है बच सकती है। बदी-(नब्ज देख कर ) हा बच सकती है खैर इसके जख्म पर पट्टी बाध कर इसी तरह छोड़ दो फिर यूझा जायेगा । हा थोडा सा अर्क इसके मुह में डाल देना चाहिए। बद्रीनाथ ने माधवी के जख्म पर पट्टी बाधी और थोडा सा अर्क भी उसके मुह में डालकर उसे वहा से उठा दूसरी कोठरी में ले गए। इस तहखाने में कई जगह से रोशनी और हवा पहुचा करती थी कारीगरों ने इसके लिए अच्छी तर्कीय की थी। बदीनाथ और ज्योतिषीजी माधवी को उठाकर एक ऐसी कोठरी में ले गये जहा चादाकश की राह से ठण्डी ठण्डी हवा आ रही थी और उसे उसी जगह छोड आप बारहदरी में आए जहा उस औरत को, जिसने माधवी को घायल किया था खम्भेके साथ याधा था । बद्रीनाथ ने धीरे से ज्योतिषीजी से कहा कि आज कुँअर आनन्दसिह और उनके थोड़ी ही देर बाद मैं वीस पचीस आदमियों को साथ लेकर यहा आऊगा। अब मै जाता हूँ वहा बहुत कुछ काम है केवल इतना की कहने के लिए आया था। मेरे जाने वाद तुम इस औरत से पूछताछ लेना कि यह कौन है मगर एक बात काखौफ है। ज्योतिपी-वह क्या ? बदी--यह औरत हम लोगों को पहिचान गई है कहीं ऐसा न हो कि तुम महाराज को बुलाओ और वे कह उठे कि दारोगा साहब तो राजा वीरेन्द्रसिह के ऐयार है। ज्योतिपी-जरूर ऐसा होगा इसका भी बन्दोबस्त कर लेना चाहिए। यदी-खैर कोई हर्ज नहीं मेरे पास मसाला तैयार है। (बटुए में से एक डिविया निकालकर और ज्योतिपीजी के हाथ में देकर) इसे आप रक्खे जय मौका हो तो इसमें से थोडीसी दवा इसकी जुबान पर जबर्दस्ती मल दीजिएगा बात की बात में जुबान ऐट जायेगी फिर यह साफ तौर पर कुछ भी न कह सकेगी। तब जो आपके जी में आवे,महाराज को समझा दें। बद्रीनाथ वहाँ से चले गये। उनके जाने के बाद उस औरत को डरा-धमका और कुछ मारपीट कर ज्योतिषीजी ने उसका हाल मालूम करना चाहा मगर कुछ न हो सका पहरों की मेहनत बर्वाद गई। आखिर उस औरत ने ज्योतिपीजी से कहा ज्योतिषीजी मै आपको अच्छी तरह से जानती हू। आप यह न समझिए कि माधवी को मैंने मारा है उसको घायल करने वाला कोई दूसरा ही था खैर इन सब बातों से कोई मतलब नहीं क्योंकि अब तो माधवी भी आपके कब्जे में नहीं रही। ज्योतियी-माधवी मेरे कब्जे में से कहा जा सकती है? औरत-जहा जा सकती थी वहा गई आप जहा रख आये थे वहा जाकर देखिये है या नहीं। औरत की बात सुन कर ज्योतिषीजी बहुत घबराए और उठ खडे हुए वहा गए जहा माधवी को छोड आये थे। उस औरत की बात सच निकली माधवी का वहा पता भी न था। हाथ में लालटेन ले घण्टों ज्योतिषीजी इधर-उधर खोजते रहे मगर कुछ फायदा न हुआ आखिर लौट कर फिर उस औरत के पास आये और बोले 'तेरी बात ठीक निकली मगर अब मैं तेरी जान लिये बिना नहीं रहता हा अगर सच-सच अपना हाल बता दे तो छोड दू। ज्योतिपीजी न हजार सिर पटका मगर उस औरत ने कुछ भी न कहा। इसी औरत के चिल्लाने या बोलने की R जाए तो यह देवकीनन्नही तमन २७-