पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४४६

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cry माया-मुझे तुम पर पूरा भरोसा है इसलिए मैं अपना कोइ भद तुमसे न छिपाऊगी। भूत-अच्छा अब एक बात में आपसे और कहूगा । माया-कहा । भूत-नागर की जुबानी यह तो आपका मालूम ही हुआ हागा कि काशी में मनोरमा के तिलिस्मी मकान के अन्दर किशारी के रखने का हाल कमलिनी जान गई है। माया-हा नागर वह सब हाल मुझसे कह चुकी है। भूत-ठीक है तो आपन यह भी विचारा होगा कि किशोरी को उस मकान से निकाल कर किसी दूसरे मकान में रखना चाहिये। माया-हा मेरी ता यही राय है। भूत-मगर नहीं आप किशारी को उसी मकान में रहने दीजिय इस बात की खबर में किशारी के पक्षपातियों को दूगा जिस सुन कर व लोग किशारी को छुडाने की नीयत से अवश्य उस मकान के अन्दर जायगे उस समय उन लोगों का एस ढग स फसा लूगा कि किसी का पता न लगगा ओर न इसी बात का शक किसी को होगा कि गै आपका तरफदार हू माया-तुम्हारी यह राय बहुत अच्छी है में इसे पसन्द करती हूँ और एसा ही करूँगी। भूत-अच्छा ता अव आप यह बताइये कि कुअर इन्दजीतसिह वगैरह के साथ आपन क्या वर्ताव किया जा आपक यहा कैद है। माया-(ऊची सास लकर ) अफसोस कमलिनी उन लोगों को यहा से छुडा ल गई और मरी छाटी बहिन लाडिली भी मुझ धाखा दे गई जिसका खुलासा हाल मै तुमसे कहती हूँ। मायारानी न अपना कुल हाल जो नागर से कहा था भूतनाथ को कह सुनाया मगर अपन पुरान कैदी का हाल और यह वात कि चण्डूल ने उसके कान में क्या कहा था भूतनाथ से भी छिपा रक्खा और उसके बदल में वह कहा जा नागर स कहा था मगर भूतनाथ ने उस जगह मुरकुरा दिया जिससे मायारानी समझ गई कि भूतनाथ को मरी बातों में कुछ शक हुआ। माया-जा कुछ मैं कह चुकी है उसमें वात झूठ थी और एक मेन छिपा लिया। भूत-( हस कर ) वह बात शायद मुझसे कहने योग्य नहीं है। माया-हा मगर अब तो में वादा कर चुकी है कि तुमसे काई बात न छिपाऊगी इसलिये यद्यपि उस बात का भेद अनी तक मैने नागर को भी नहीं दिया मगर तुमसे जरुर कहूगी परन्तु इसके पहिले एक बात तुमसे पूछूगी क्योंकि यहुत दर से उसक पूछने की इच्छा लगी है पर वातों का सिलसिला दूसरी तरफ हो जाने के कारण पूछ न सकी। भूत-खैर अब पूछ लीजिए। माया-मनारमा को कमलिनी की कैद से छुड़ाने के लिए तुमने क्या विचारा है ? भूत--मनोरमा को यद्यपि मैं सहज ही में छुडा सकता है परन्तु उसे भी इस ढग से छुडाया चाहता हू कि कमलिनी को मुझ पर शक न हो अगर उसे जरा भी शक हो जायगा तो वह सम्हल जायगी क्योंकि यह बड़ी ही धूर्त और शैतान है। माया-सा ता ठीक हे मगर काई बन्दोबस्त लो करना ही चाहिये। भूत हा हा उसका बन्दोबस्त बहुत जल्द किया जायगा । माया-अच्छा तो अब यह भेद की बात भी तुमसे कहती है जिसे मैं अभी तक बडी कोशिश से छिपाये हुए थी यहा तक कि अपनी प्यारी सखी मनारमा से भी उस विषय में आज तक मैंने कुछ नहीं कहा था । (नागर की तरफ देखकर) ला सुन लो तुम भी सुन लो। मायारानी दो घण्टे तक अपने गुप्त भद की वात भूतनाथ से कहती रही और वह बड गोर से सुनता रहा और अन्त में मायारानी को कुछ समझा बुझा कर और इनाम में हीरे की एक माला पाकर वहा से रवाना हुआ। छठवां बयान रात आधी जा चुकी है चारों तरफ सनाटा छाया हुआ है हवा भी एक दम बन्द है यहा तक कि किसी पेड की एक पत्ती भी नहीं हिलती। आसमान में चाद तो नहीं दिखाई देता मगर जगल मैदान में चलने वाले मुसाफिरों को तारों की जमानिया की तरफ जा रहे हैं। जमानिया अब बहुत दूर नहीं है और ये दोनों मुसाफिर शहर के बाहरी प्रान्त में पहच चुके है। अब वे दोना आदमी शहर के पास पहुच गये मगर शहर के अन्दर न जाकर बाहर ही बाहर मैदान के उस हिस्से की • देवकीनन्दन खत्री समग्र