पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४८५

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६ और भी था। थोड़ी ही देर पहले उसे इस बात का रज था कि कम्बख्त दारोगा ने यकायक पहुच कर हमारे काम में विश्न डाल दिया नहीं तो गोपालसिह तथा कमलिनी और लाडिली को मार कर में हमेशा के लिए निश्चिन्त हो जाती मगर अव उसे इन बातों का रज नहीं है और यह उसकी मुस्कराहट से साफ जाहिर हो रहा है। बारहवॉ बयान शाम होन में कुछ भी विलम्ब नहीं है। सूर्य भगवान अस्त हो गये केवल उनकी लालिमा आसमान में पश्चिम तरफ दिखाई दे रही है। दारामा वाले बगले में रहने वालों के लिए यह अच्छा समय है परन्तु आज उस यगले में जितने आदमी दिखाई दे रहे है वे सब इस योग्य नहीं है कि वैफिक्रीके साथ इधर उधर घूमे और इस अनूठे समय का आनन्द ले । यद्यपि राजा गोपालसिह कमलिनी और लाडिली की तरफ से मायारानी निश्चिन्त हो गई बल्कि उनके साथ ही साथ दो ऐयारों को भी उसन गिरफ्तार कर लिया है मगर अभी तक उसका जी ठिकार नहीं हुआ वह नहर के किनारे बैठी हुई बाबा जी से बातें कर रही है और इस फिक्र में है कि काई ऐसी तरकीब निकल आवे कि जमानिया कि गद्दी पर बैठ कर उसी शान के साथ हुकूमत करे जैसे कि आज के कुछ दिन पहले कर रही थी। उसके पास केवल नागर बैठी हुई दानों कि बातें सुन माया-जिस दिन से आपको बीरेन्दसिह ने गिरफ्तार कर लिया उसी दिन स मेरी किस्मत न एसा पलटा खाया कि जिसका कोई हदहिसार नहीं मानों मेरे लिए जमाना ही और हो गया। एक दिन भी सुय के साथ सोना नसीचे न हुआ। मुझ पर जो मुसीबतें साई और तिलिस्मी बाग के अन्दर जो जो अनहोनी बात हुई उनका खुलासा हाल आज मै आपस कह चुकी है। इस समय यद्यपि राजा गोपालसिह कमहिनी ओर लाडिली की तरफ से निश्चिन्त हू मगर फिर भी अपनी अमलदारी में या तिलिस्नी याग के अन्दर जा कर रहने का हौसला नहीं पडता क्योंकि तिलिस्मी बाग के अन्दर दोनां नकाबपोशों के आन और घनपत का भेद खुल जाने से हमारे सिपाहियों की हालत विल्कुल ही बदल गई है और मुझे उनक हार्थों सदुख भागने के सिवाय और किसी तरह कि उम्मीद नहीं है। यह भी सुनने में आया है कि दीवान साहब मुझ गिरफ्तार करने की फिक्र में पड़े हुए है। याया-दीवान जा कुछ कर रहा है उससे मालूम होता है कि या तो उसे राजा गोपालसिह का असल असल हाल मालूम हो गया है और वह उन्हें फिर जमानिया की गद्दी पर देताना चाहता है या वह स्वयम् राजा साहब के चार में धोखा खा रहा है और चाहता है कि तुम्हें गिरफ्तार कर राजा वीरेन्द्रसिह के हवाले करके और उनकी महरवानी के भरासे पर स्वयम जमानिया का राजा बन बैठे। तुम कह चुकी हो कि राजा वीरेन्द्रसिह की हजार फौज मुकाबले में आ चुकी है जिसका अफसर नाहरसिद्ध है। अब सोचना चाहिये कि नाहरसिह के मुकाबले में आ जाने पर भी युपचाप बैठे रहना सबब नहीं है और माया-शायद इसका सबब यह हो कि दीवान ने मुझे गिरफ्तार करके बीरेन्द्रसिंह के हवाले कर देने की शर्त पर उनसे सुलह कर ली हो? याया-ताज्जुष नहीं कि ऐसा ही हो मगर घवडाओ नहीं मैं दीवान के पास जाऊगा और देखूगा कि वह किस ढग पर चलने का इरादा करता है। अगर बदमाशी करने पर उतारू है तो मै उसे ठीक करूँगा। हो यह तो बताओ कि दीवान का तुम्हारी तिलिस्मी बातो या तिलिरमी कारखाने का भेद तो किसी ने नहीं दिया? माया-जहॉ तक मैं समझती हू उसे तिलिस्मी कारखाने में कुछ दखल नहीं है मगर इस बात को मैं जोर देकर नहीं कह सकती क्योंकि वे दोनों नकाबपोश हमार तिलिस्मी बाग के भेदों से बखूबी वाकिफ है जिनका हाल में आपसे कह चुकी है, बल्कि ऐसा कहना गहिए कि बनिस्बत मेरे वे ज्याद जानकार है क्योंकि अगर ऐसा न होता तो वे मेरी उन तरकीबों को रद्द न कर सकते जो उनके फसाने के लिए की गई थी ताज्जुब नहीं कि उन दोनों ने दीवान से मिल कर तिलिस्म का कुछ हाल भी उससे कहा हो। बाबा-खैर कोई हर्ज नहीं देखा जायगा. मै फल जरूर वहाँ जाऊगा और दीवान से मिलूंगा। माया-नहीं बल्कि आप आज ही जाइये और जो तक जल्दी हो सके कुछ बन्दोबस्त कीजिये, क्योंकि अगर दीवान के भेजे हुए सौ पचास आदमी मुझ ढूँढ़ते हुए यहाँ आ जायेगे तो सख्त मुश्किल होगी। यद्यपि यह तिलिस्मी खजर मुझे मिल गया है और तिलिस्मी गोली से भी में सैकड़ों की जान ले सकती हूमगर उस समय मेरे किए कुछ भी न होगा जब किसी ऐसे से मुकाविला हो जायगा जिसके पास कमलिनी का दिया हुआ इसी प्रकार का खजर मौजूद होगा। दाया-तथापि इस बंगले में आकर तुम्हें कोई सता नहीं सकता। माया-ठीक है मगर मैं कब तक इसके अन्दर छिप कर बैठी रहूगी आखिर भूख प्यास भी तो कोई चीज है । चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ९