पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४८६

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art वाघा-मगर ऐसा होना बहुत मुश्किल है। माया-तो हर्ज ही क्या है अगर आप इसी समय दीवान के पास जाय? मैं खूब जानती है कि वह आपकी सूरत दखते ही डर जायेगा। याया-क्या तुम्हारी यही मर्जी है कि इसी समय जाऊ? माया-हा जाइए और अवश्य जाइये। बापा-अच्छा यही सही मैं जाता है। बाबाजी उसी समय उठ खडे हुए और जमानिया की तरफ रवाना हो गए। मायारानी तब तक घरावर देखती रही जब तक कि वे पेड़ों की आड में हाकर नजरों से गायबन हो गये, इसके बाद हस कर नागर की तरफ देखा और कहा- माया तुम समझती हो कि बाबाजी को मैंने जिद करके इसी समय यहा स क्यों धता बताया ? नागर--जाहिर में जो कुछ तुमने बाबाजी से कहा है और जिस काम के लिए उन्हें भेजा है यदि उसके सिवाय और कोई मतलब है तो में कह सकती हूं कि मेरी समझ में कुछ न आया । माया-(इस कर) अच्छा तो अब मैं समझा देती हू। बाबाजी के सामने मैने अपने को जितना बताया वास्तव मेमेर दिल में उतना दुख और रज नहीं है क्योंकि जिसका डर था जिसके निकल जाने से मैं परेशान थी जिसका प्रकट हाना मेरे लिए मौत का सबब था और जो मुझसे बदला लिए बिना मानने वाला न था अर्थात गोपालसिंह वह मेरे कब्जे में आ चुका । अब अगर दुख है तो इतना ही कि कम्बख्त दारोगा ने उसे मारने न दिया मगर मैं बिना उसकी जान लिए कर मानने वाली है, इसलिए मैंने किसी तरह बाबाजी को यहा से धता बताया। नागर-तो क्या तुम्हारा मतलब था कि बाबाजी यहा से विदा हो जाय तो अपने कैदियों को मार डालोर माया-बेशक इसी मतलब से मैने बाबाजी को यहा से निकाल बाहर किया क्योंकि अगर वह रहता तो कैदियो को मारने न देता और उसमें जो कुछ करामात है सो तुम देख ही हो। अगर ऐसा न होता तो मैं सुरग ही में उन सभों को मार कर निश्चिन्त हो जाती। नागर-मगर बाबाजी ने उस कोठरी की ताली तो तुम्हें दी नहीं जिसमें कैदियों को रक्खा है। माया-ठीक है याबाजी इस बात में चालाकी कर गए। कैदखाने की कोठरी क्योंकर खुलती है सो मुझे नहीं बताया और न कोइ ताली वहा की मुझे दी मगर यह मै पहिले ही समझे हुई थी कि बाबाजी कैदियों को जरुर किसी ऐसी जगह रक्खेंगे जहा मैं जा नहीं सकती इसीलिए तो बाबाजी से मैने कहा कि कैदियों को मेगजीन के बगल वाली कोठरी में कैद करो। बाबाजी मेरा मतलब न समझ सके और धोख में आ गये। नागर-यह कहने से तो यही जाहिर होता है कि उस कोठरी में तुम जा सकती हो। माया-नहीं उस कोठरी में मैं नहीं जा सकती मगर मेगजीन की कोठरी तक जा सकती है। नागर-(जोर से हस कर ) अहा हा अब में समझी तुम्हारा मतलब यह है कि मेगजीन में जहाँ यारूद का खजाना रक्खा है वहाँ जाओ और उसमें आग लगा कर इस भाया-वस बस यही है कैदी और कैदखाने की क्या बात इस बंगले को ही सत्यानाश कर दूंगी। कैदियों की हडडी तक का तो पता लगेगा ही नहीं अच्छा अव इस काम में विलम्ब न करना चाहिए उठो और मेरे साथ चल कर उस कोठरी में अर्थात मैगजीन में कोई ऐसी चीज रक्खो जो उस वक्त बासद में आग लगावे जब हम लोग यहा से निकल कर कुछ दूर चली जाय। नागर-एसा ही होगा यह कोई मुश्किल बात नहीं है। तेरहवॉ बयान कल शाम को बाबाजी जमानिया गये थे और आज शाम होने के दो घटे पहिले ही लौट आये। दूर ही से अपने बगले की हालत देख सिर हिला कर बोले मैं उसी समय समझ गया था जब मायारानी ने कहा था कि कैदियों को मेगजीन के चगल वाले तहखाने में कैद करना चाहिए। बाबाजी का बगला जो बहुत ही खूबसूरत और शौकीनों के रहन लायक था बिल्कुल बर्वाद हो गया था बल्कि यों कहना चाहिए कि उसकी एक एक ईट अलग हो गई थी। बाबाजी धीरे धीरे उसके पास पहुंच और कुछ देर तक गौर से

  • अर्थात् विदा किया।

देवकीनन्दन खत्री समग्र