पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५०४

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axi और जिसमें कवल इतना ही लिखा है कि लक्ष्मीदेवी के प्रकट हो जाने से अनर्थ हो गया अब मायारानी और उसके पक्षपातियों को एक दम भाग कर अपनी जान बचाना उचित है । (लीठी दिखा कर ) देखो यही है न । श्यामलाल-हॉ यही है मगर इसमें यह भी लिखा है कि नहीं तो बारह घटे के बाद फिर कुछ करते घरते न बन पड़गा। नागर-हाँ दीक हे यह भी लिखा है मगर यह बताओ कि लक्ष्मीदेवी कौन है और उसके प्रकट हा जाने से हमारा क्या नुकसान है? श्यामलाल-(ताज्जुब से नागर का मुह देख कर ) क्या तुम लक्ष्मीदेवी वाला भेद नहीं जानती हो? क्या यह भेद मायारानी ने तुमसे छिपा रक्खा है? खैर अगर यह बात है तो मैं भी इस भेद को खोलना उचित नहीं समझता। अच्छा यह तो क्ताआ मायारानी कहाँ है मै उससे कुछ कहा चाहता हू नागर-क्या मायारानी तुम्हारे सामने हो सकती है ? क्या तुम नहीं जानते कि उनका दर्जा कितना बड़ा है और उन्हें कोई गैर मर्द नहीं दख सकता । श्यामलाल-मै सब कुछ जानता हू और यह भी जानता हूँ कि वह मुझसे पर्दा न करेगी। नगर-शायद ऐसा ही हो, लेकिन इस समय वह किसी काम से गई है यहाँ नहीं है। श्याम-अगर ऐसा ही है तो मैं भी जाता हू और तुमसे कहे जाता हूकि जहा तक जल्द हो सके भाग कर अपनी जान बचाओ। यह कह कर श्यामलाल पीछे की तरफ लौटा मगर नागर ने उसे रोक कर कहा सुनो तुम अभी कह चुके हो कि हमार पुराने दोस्त हो तो क्या तुम मुझ पर कृपा करके और पुरानी दोस्ती को याद करके लक्ष्मीदेवीवाला मेद मुझे नहीं बता सकते ? क्या तुम साफ साफ नहीं कह सकते कि हम लोगों पर क्या आफत आने वाली है ? श्याम बेशक मैं तुम्हारी दोस्ती का एकरार कर चुका हू और अब भी यह कहता है कि अभी तक तुम्हारी मोहलत ने मेरा साथ नहीं छोडा है मगर (कुछ सोच के ) अच्छा ला मै एक चीठी देता हू इसके पढने से तुम्हें सब हाल मालूम हो जायेगा मगर ( काठरी के दर्वाजे पर पड़े हुए परद की तरफ देख के ) मुझे शक है कि इस परदे के अन्दर कोई लौडी छिप कर देखती नहा। नागर-नहीं नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता लो मैं तुम्हारा शक दूर किये देती है। यह कह कर नागर ने बढ़ कर वह पर्दा किनारे कर दिया और कोठरी का दर्वाजा बन्द कर लिया। श्यामलाल ने नागर की तरफ चीठी बढा कर कहा 'देखो में निश्चय करके आया था कि यह चीटी सिवाय मायारानी के और किसी के हाथ में न दूगा क्योंकि उसे मै दिल से चाहता हू और उसी की खातिर इतना कष्ट उठा कर आया भी हू सच तो यह है कि वह भी मुझे जी जान स मानती और प्यार करती है। नागर--अफसोस और ताज्जुब की बात यह है कि तुम मायारानी की शान में ऐसी बात कह रहे हो नि सन्देह तुम झूठे और दगावाज हो मायारानी को क्या पड़ी है कि वह तुमसे मुहब्बत करें क्या वह भी मेरी तरह से गन्धर्व कुल को रानक देन वाली है । श्याम-(हस कर और चीठी वाला हाथ अपनी तरफ खींच कर ह ह ह जब तुम असल बातों को जानती ही नहीं हो तो मेरी बाते क्योंकर समझ सकती हो ? तुम मायारानी की सखी कहलाने का दावा रखती हो मगर मैदखता है कि मायारानी तुम्हें एक लौंडी के बराबर भी नहीं समझती यही सबब है कि उसने अपना असली हाल तुमस कुछ भी नहीं कहा। अफसोस तुम्हें इतनी खबर भी नहीं है कि मायारानी मेरी सगी साली है। नागर-(चांक कर ) भायारानी तुम्हारी स्गली है |- और लक्ष्मीदेवी ? श्यामलाल-लक्ष्मीदेवी वह है जिसकी जगह मायारानी मेरी और दारोगा की मदद मगर नहीं, ओफ मै भूलता हूँ जब मायारानी ने खुद अपना हाल तुमस छिपाया तो मैं क्यों कहू? अच्छा मायारानी आवे तो कह देना कि श्यामलाल गया था और कह गया है कि मैने लक्ष्मीदेवी और गोपालसिह का बन्दोबस्त कर लिया है अब तू बेफिक्र हो के बैठ और जहाँ तक जल्द हो सके मुझसे मिला लेकिन अफसास तो यह है कि इस मकान में रहने वाले आज गिरफ्तार कर लिए जायेंगे और मायारानी को यहाँ आने का मौका ही न मिलेगा।तब मैं यह सब बाते तुमसे क्यों कह रहा हूँ [अच्छाखेर जाने दो जहाँ तक जल्द हो भाग कर तुम अपनी जान बचाओ और जो कुछ दौलत यहाँ से निकाल कर ले जा सको लेती जाओ लो अब मै जाता है। नागर-सुना सुनो वह चीठी जा तुम मुझे दिखाया चाहते थे सो तो दिखा दो और इसके बाद मेरी एक बात का जवाब दे के तब जाओ।