पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५८६

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आठवां बयान उन लोगों ने बधी बधाई गठरी को उसी जगह छोड़ दियाऔरवीच वाले कमरे के दर्याजे पर पहुचे जिसमें ताला बन्द था,एक आदमी ने लोहे की सलाई के सहारे ताला खोला और इसके बाद सब के सब उस कमरे के अन्दर जा पहुंचे। यह कमरा इस समय भी हर तरह से सजा और अमीरों के रहने लायक बना हुआ था। पहिले तो उन आदमियों ने मशाल की रोशनी में वहा की हरएक चीज को अच्छी तरह गौर से देखा और इसके बाद सभी ने मिल कर वहाँ का फर्श जो जमीन पर बिछा हुआ था उठा डाला। यहाँ की जमीन सगमर्मर के चौखूट पत्थर के टुकड़ों से बनी हुइ थी जिसे देख एक ने कहा-- एक-अगर हम लोगों का अन्दाज ठीक है और वास्तव में इसी कमर का पता हम लोगों को दिया गया है तो यहाँ की जमीन में सूराख करना कोई बड़ी बात नहीं है दो चार पत्थर उपाड़ने से सहज ही में काम चल जायेगा। दूसरा-येशक ऐसा ही है मगर मै समझता हू कि थोड़ी दर रुक कर बावाजी की राह देखना उचित होगा। तीसरा-अजी अपना काम करो इस तरह रुकारुकी में रान बीत जावेगी तो मुफ्त में मार पड़ेंगे। पहिला-मारे क्या पड़ेंगे? यहा है ही कौत जो हम लोगों का गिरफ्तार करेगा । तीसरा-(कुछ रुक कर और बाहर की तरफ कान लगा कर ) किसी के आने की आहट मालूम होती है। चौथा-(ध्यान देकर ) ठीक ता है मगर सिवाय बावाजी के और होगा ही कौन? तीसरा-लीजिए आ ही तो गए। चौथा-हमने कहा था कि बाबाजी होंगे। इतने ही में दो आदमियों को साथ लिये वावाजी भी वहाँ आ पहुचे वही यायाजी जो मायारानी के तिलिस्मी दारोगा थे। उसके साथ में एक तो मायारानी थी और दूसरा आदमी वही शेरअलीसा पटने का सूबेदार था जिसकी लड़की गौहर का हालऊपर के किसी हाल में लिखा जा चुका है। मायारानी इस समय अपने चेहरे पर नकाब डाले हुए थी मगर उसकी पोशाक जनाने ढग की ओर उसी शानशौकत की थी जैसीकि उन दिनों पहिरा करती थीं ज्यातिलिस्म की रानी कहलाने का उसे हक था और अपने ऊपर किसी तरह की आफत आने का शानागुभान भी न था। हम इस जगह थाडा सा हाल तेजसिह का लिख दना नी उचित समझते है। कमला की जुबानी समाचार पाकर तेजसिह तुरन्त तैयार हो गये और तारा सिह वगैरह एयारों का साथ लिये हुए महल के उस हिस्स में पहुंचे जिसमें ऊपर लिखी कार्रवाई हो रही थी। उन पाचों बदमाशों का कमर के अन्दर जाते हुए तेजसिह ने देख लिया था इसलिए वे छिपते हुए पिछली राह से कमरे की छत पर चढ गये। छत के बीचोबीच में एक रोशनदान जमीन से दो हाथ ऊचा बा हुआ था जिसके जरिये कमरे के अन्दर रोशनी और कुछ धूप भी पहुंचा करती थी। उस रोशनदान में चारों तरफ विल्लौरी शीशे इस ढग के लगे हुए थे जिन्हें जब चाहे खोल और बन्द कर सकते थे तारासिह तो हिफाजत के लिए हाथ में नगी तलवार लिए नीदी पर खड़े हो गए और तेजसिह देवीसिह तथा भेरोसिह उसी राशनदान की राह से कमरे के अन्दर का हाल देखन और उन शैतानों की बातचीत सुनने लगे। अब हम फिर कमरे के अन्दर का हाल लिखते है। बाबाजीने आने के साथ ही उन पाचों आदमियों की तरफ देख के कहा- यावा अभी तक तुम लोग सोच विचार में ही पड़े हो? एक-अनजान जगह में हम लोग कौन काम जल्दी के साथ कर सकते है ? खैर अब यह बताइये कि यही जमीन खोदी जायगी या कोई और? यावा-हा यही जमीन खोदी जायगी बस जल्दी करो, रात बहुत कम है। सिर्फ आठ दस पत्थर उखाड डालो दो हाथ से ज्यादे मोटी छत नहीं है। दूसरा-बात की बात में सब काम ठीक किये देता हू, कोई हर्ज नहीं । इतना कह कर उन लोगों ने जमीन खोदने में हाथ लगा दिया और बाबाजी मायारानी तथा शेरअलीखा में यों बातचीत होने लगी माया-जिस राह से हमलोग आये है उसी राह से अपने फौजी सिपाहियों को भी ले आते तो क्या हर्ज था ? बाबा-तुम तो वाज दफे बच्चों कीसी बात करती हो। एक तो वह तिलिस्मी रास्ता इस लायक नहीं कि उस राह से हम फोजी सैकडो आदमियों को ला सकें क्या जाने किससे क्या गलती हो जाय या कैसी आफत आ पड़े सिवाय देवकीनन्दन खत्री समग्र ५७८