पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५९

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एक दुसरा आलीशान मकान या जिसने हालिन्दी की मॉ और लौडियाँ वगैरह रहा करती थी। कालिन्दी बहुत ही टेढी और जल्दौरज हो जाने वाली औरत थी इसलिये उसके डर से बिना बुलाये कोई उसके पास न जाता और घण्टे दो घण्टे या जब तक जी चाहता वह अकेलीही इस बैठक में रहा करती थी। कालिन्दो शहरपनाह के फाटक पर पहुंची जहाँ कई सिपाही सगीन लिये पहरा दे रहे थे। उसने पहुँचते ही जल्द फाटक की खिडकी खोलने के लिए कहा। एक सिपाही-तुम कौन हो? कालिन्दी मेरा नाम रामभरोस है दीवान साहब का खास खिदमतगार हू, उनकी चिट्ठी लेकर बीरसेन के पास जा रहा है, क्योंकि बहुत जल्द उन्हें बुला लाने का हुक्म हुआ है। सिपाही-तुमने अपनी सूरत क्यों छिपाई हुई है ? कालिन्दी-इसलिये कि शायद कोई दुश्मन का आदमी मिल जाय तो पहिचान न सके। मगर मुझे देर हो रही है जल्द फाटक खोलो दमनर भी कहीं रूकने का हुक्म नहीं और यह मौका भी ऐसा ही है। पहरेवाले सिपाही ने यह सोच कर कि अन्दर से बाहर किसी को जाने देने में कोई हर्ज नहीं है. हमारा काम यही है कि कोई गैर आदमी बाहर से किले के अन्दर आने न पावे। खिडकी खोल दी और कालन्दिी खुशी खुशी बाहर हो गई। बालेसिह का लश्कर यहाँ से लगभग डेड कोस की दूरी पर था। घण्टेभर में यह रास्ता कालिन्दी ने तै किया मगर फौज के पास पहुंचते ही रोकी गई। पहरे वालों के पूछने पर उसने जवाब दिया महारानी कुसुमकुमारी की चिट्ठी लेकर जसवन्तसिह के पास आया हू मुनासिब है कि तुममे से एक आदमी मेरे साथ चलो और मुझे उनके पास पहुँचा दो।' बालेसिह के यहाँ आज जसवन्तसिह की बड़ी कदर और इज्जत है। फौज का सेनापति होने के सिपाय बालेसिह उसे जी जान से मानता है क्योंकि अगर महारानी कुसुमकुमारी की फौज का पता बालेसिह को वह न देता तो बेशक बाले सिह की किस्मत फूट ही चुकी थी : एक तो रनवीरसिह के जख्मी होने से दूसरे जसवन्तसिह के होशियार कर देने से बालेसिह की जान बच गई। इससे भी बढ कर जसवन्तसिह ने और एक काम किया था जिससे बालेसिह बहुत ही खुश है और उसे अपनी जान के बराबर मानता है। इस जगह पर यह कहने की कोई जरूरत नहीं नजर आती कि जसवन्त ने वह कौन सा लासानी काम करके वालेसिह को मुट्ठी में कर लिया है क्योंकि आगे मौके पर यह बात छिपी न रहेगी। जसवन्तसिह का समय देखके बालेसिह के कुल मुलाजिम फौज और अफसर इसका हुक्म मानते हैं। समझते है कि यह जिससे रज होगा उसके सिर पर आफत आएगी और वह उसी तरह तोप के आगे रख कर उडा दिया जायगा जिस तरह वह जासूस उड़ा दिया गया था जिसने महारानी कुसुमकुमारी के मरने की खबर बालेसिह को पहुँचाई थी। अस्तु जसवन्तसिह का नाम सुनते ही एक सिपाही कालिन्दी के साथ हुआ और उसे जसवन्तसिह के पास पहुचा कर अपने ठिकाने चला आया। आसमान पर सफेदी आ रही थी और बुझती हुई चिनगारियों की तरह दस बीस लुपलुपाते हुए तारे दिखाई दे रहे थे जब कालिन्दी जसवन्तसिह के खेमे के पास पहुंची। पहरेवालों से जाना गया कि वह अभी सो रहा है। साप सबेरा हो जाने से मालूम हो जायगा कि यह औरत है इसलिये कालिन्दी ने उसी वक्त खेमे के अन्दर जाने का इरादा किया मगर हुक्म के खिलाफ समझ कर पहरे वालों ने ऐसा करने से रोक दिया। कालिन्दी-अच्छा तुम अभी जाकर खबर करो कि महारानी का भेजा हुआ एक आदमी आया है। एक सिपाही-सरि अभी सो रहे है, फिसकी मजाल है जो उन्हें जाकर उठाये । कालिन्दी-लडाई के वक्त सफर में कोई फौजीबहादुर ऐसा हुक्म जारी नहीं कर करा. ऐसे मौके पर आरामको चाहने वाला कभी फायदा नहीं उठावेगा फौज इस वक्त दुश्मन के मुकाबले में पड़ी हुई है। मुझे विश्वारा होता जसवन्तसिह ने काम पड़ने पर भी नींद से जगाने की मनाही कर दी हो। पहरे वाला-तुम्हारा कहना ठीक है, ऐसा हुक्म तो नहीं दिया गया है. मगर . कालिन्दी-ममर तगर की कोई जरूरत नहीं, तुम अभी जाकर जगाओ नही तो गएe urvy site aat नतीजा तुम लोगों के हक में बहुत बुरा होगा। लाचार पहरेवालों ने खेमे के अन्दर पैर रक्खा, आहट पाते ही सबसिह की आँख खुल गई और 1stic) सिपाही को अन्दर आते देख बोला- जसवन्त-क्यों क्या है? पहरे वाला-हुजूर एक आदमी ' है कि महारानी का सन्देशा गाजार को 41001 १०६७