पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७६२

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le माया-पहिले तुम अपनी राय दो। भीम-मेरी राय ता यह है कि लीला रामदीन की सूरत बन, दीवानसाहब के पास जाय और वहा से उनकी फरमइश लेकर पिपलिया घाटी पहुचे और हम लाग भी अपनी फौज लेकर वहीं मौजूद रहें। लीला को यह करना चाहिए विउन दो सौ सवारों को जिन्हें जमानिया से अपने साथ लायेगी किसी बहाने से पीछे टिकवादे जिसमें गोपालसिह के पहुचते ही हम लोग बात ही बात में उन सभों को गिरफ्तार कर लें या मार डालें। माया-मगर यह बात मुझे नापसन्द है क्योंकि एक तो उसके लिखे अनुसार फौज 'पिपलिया घाटी तक जरुर जायगी, अगर मान लिया जाय कि नकली रामदीन के हुक्म से फौज पीछे रह भी जाय और तुम लोग उन समों का गिरफ्तार कर लो,तो भी हमारा काम न निकल सकेगा क्योंकि राजा गोपालसिह के पकड़े या मारे जाने की खबर दीवान को तुरन्त लग जायगी और वह अपनी फोज को दुरुस्त करके लड़ने के लिये तैयार हो जादगा और हम लोगों को जमानिया के अन्दर कभी घुसने न देगा। कुअर इन्द्रजीतसिह और आनन्दसिह भी जमानिया ही में तिलिस्म के अन्दर है, वे दोनों भी लड़ने भिड़ने के लिए तैयार हो जायग और उस समय हम लोग फिर लडूरे ही रह जायगे इतना बखेडा करने का कुछ फायदा न निकलेगा, न तो जमानिया की गद्दी मिलेगी और न गया का राज्या भीम-तय आप ही कहिए कि क्या करना चाहिये ? माया- कुवेर से ) इस वक्त आपके पास कितनी फौज है। कुबेर-पाच सौ। माया-(माधवी से) ऐसा करना चाहिए किहम, तुम भीमसेनऔर कुवेरसिह चारों आदमी जमानिया वाले तिलिस्मी बाग के अन्दर जा घुसे और इन पाच सौ आदमियों को इस तरह तिलिस्मी याग के अन्दर ले चले और छिपा रखें कि किसी को कानों कान खबर न हो क्योंकि उस बाग में इतने आदमियों को छिपा रखने की जगह है और वह वाग भी इस लायक है कि अगर मैं उसके अन्दर मौजूद रहू तो चाहे कैसा ही जर्षदस्त दुश्मन हो और चाहे कितनी हीज्यादे फौज लेकर क्यों न चढ़ आवे मगर बाग के अन्दर किसी की नजर तक पहुचने न दूँ। माधवी-बेशक वह वाग एसा ही सुनने में आया है और तुम तो वहा की रानी ही ठहरी तथा तुम्हें वहा के सव भेद मालूम भी है अच्छा तब? माया-जब किशोरी और कमलिनी इत्यादि को लेकर गोपालसिह जमानिया जायगा तो नि सन्देह सो को लिए हुए उसी बाग में पहुंचेगा बस उस समय हम लोग जो छिप हुए रहेंगे निकल आदेंग और बात की बात में सभी को मार लेंगे। ऐसा होने से जमानिया में दखल भी बना रहेगा और इन्दजीतसिह तथा आनन्दसिह भी कब्ज में आ जायगें। माधवीं--(खुश होकर)बात तो बहुत ठीक है मगर हमलोग इतने आदमियों को लकर चुपचाप उस बाग के अन्दर किस तरह पहुच सकते हैं? माया- इसका बन्दोबस्त इस तरह हो सकता है कि हम तुम भीमसेन और कुर्वरसिह एक साथ ही भेष बदल कर लीला क साथ जमानिया जाय और लीला दीवान साहब से कहे कि गोपाल सिह ने इन सभों अर्थात हम लागो को खास बाग के अन्दर पहुंचा देने का हुक्म दिया है। बस इतना कहकर हम लोगों को उस याग के अन्दर पहुंचा दे क्योंकि दीदान इस नकली रामदीन की बात अगूठी की बरकत से टाल न सकेगा और रामदीन पहिले भी खास बाग के अन्दर आता जाता था यह यात दीवान जानता है। जब हम लोग उस धाग के अन्दर जा पहुंचेंगे तो एक गुप्त रास्ते से कुल फौज को वाग के अन्दर ले लेंग। इन फौजी सिपाहियों को उस सुरग के मुहाने का पता बता दिया जायगा जिसकी राह से हम सभी को खास बाग के अन्दर पहुंचावेंगे। माधवी-यह बात तो तुमने बहुत ही अच्छी सोची। भीम-इससे बढकर और कोई तरकीय फतह पाने के लिए हो ही नहीं सकती। कुवेर-और ऐसा करने में कोई टण्टा भी नहीं है। लीला-बम अल इसी राय को पक्की रखिए। इसके बाद फिर सभों में बातचीत और राय हाती रही यहाक कि सवेरा हो गया। मायारानी माधवी भीमसेन और कुबेरसिह ने सूरतें बदल ली और लीला भी रामदीन बन बैठी। भीमसेन के चारों एयारों को सुरग का पता ठिकाना अच्छी तरह बता दिया गया और कह दिया गया कि उसी ठिकाने तुरग के मुहाने पर फौजी सिपाहियों को लेकर इन्तजार करना, इसके बाद मायारांनी माधवी भीमसेन कवेरसिह और लीला ने घोडों पर सवार होकर जमानिया का रास्ता लिया देवकीनन्दन खत्री समग्र ७५४