पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७९२

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६ तारासिह की बात सुनते ही जमादार के तो होश उड गए। उसने टूटे हुए सन्दूकों को भी अपनी आँखों से देख लिया और खोज करने पर उस सिपाही को भी न पाया जिसका इस समय पहरे पर मौजूद रहना वाजिब था। यद्यपि जमादार ने उसी समय सिपाहियों को फाटक पर होशियार रहने का हुक्म दे दिया मगर इस बात का उसे बहुत रज हुआ कि उसने थोड़ी ही देर पहिले एक आदमी को डेरा उठा कर सराय के बाहर ले चल जाने दिया था। उसने तुरन्त ही कई सिपाहियों को उसकी गिरफ्तारी के लिए रवाना किया और तारासिह से कहा 'मै इसी समय इस मामले की इतिला करने राज दीवान के पास जाता हूँ। तारा-तुम जहा चाहो वहा जाओ मगर हमारा तो नुकसान हो ही गया। अस्तु हम भी अपने मालिक के पास इस बात की इत्तिला करने जाते है। जमादार-( ताज्जुब से) तो क्या आप स्वय मालिक नहीं है। तारा-नहीं हम मालिक नहीं बल्कि मालिक के गुमाश्ते हैं। हमें इस बात का बहुत रज है कि तुमने हमसे पूछे बिना सराय का फाटक खोल दिया और चोर को सराय क बाहर निकल जाने की इजाजत दे दी यद्यपि तुम मुझसे कह चुके थे कि आपस पूछे बिना सराय का फाटक न खोलेंगे और इसी हिफाजत के लिए हमने अपनी जेब की अशर्फिया तुम्हारी जेय में डाल दी थीं मगर अफसोस मुझे इस बात की बिल्कुल खबर न थी कि तुम हद से ज्यादे लालची हो हमारा माल चोरी करवा दागे और चोर से गहरी रकमरिश्वत नेकर उस फाटफ के बाहर निकल जातकी आज्ञा देदोर्ग और भै यह भी नहीं जानता था कि इस सराय की हिफाजत करने वाले इस किरम का रोजगार करते हैं अगर जानता तो ऐसी सराय में कभी थूकन भी न आता। तारासिह ने धमकी के ढग पर ऐसी-एसीचातें जमादार से कहीं कि वह डर गया और सोचने लगा कि नाहक मैने इनसे पूछे बिना सराय का फाटक खोल कर किसी को जाने दिया अगर किसी को जाने न देता तो बशक इनका माल सराय के अन्दर ही से निकल आता अब बेशक मै दोषी ठहरता है, ताज्जुब नहीं कि सौदागर की बातों पर दीवान साहब को भी यह शक हो जाय कि जमादार ने रिश्वत ली है। अगर ऐसा हुआ तो मैं कहीं का भी न रहूपा मेरी बड़ी दुर्गति की जायगी। चोरी भी ऐसी नहीं है कि जिसे में अपने पल्ले से पूरी कर सकू-इत्यादि बातें सोचता हुआ जमादार बहुत ही घबडा गया ओर बडी नर्मी और आजीजि के साथ तारासिंह से माफी माग कर बोला नि सन्देह मुझसे बडी भूल हो गई मगर मैं आपसे वादा करता हूं कि उस चोर को जो मुझे धोखा देकर और फाटक खुलवाकर चला गया है गिरफ्तार कर लूगा परन्तु मेरी जिन्दगी आपके हाथ में है अगर आप मुझ पर दया कर फाटक खोल देने वाले मेरे कसूर को छिपायेंगे तो मेरी जान बच जायेगी नहीं तो राजा साहब मेरा सिर कटवा डालेंगे और इससे आपका कुछ लाभ न होगा। मै कसम खाकर कहता हूं कि मैंने उससे एक कोडी भी रिश्वत नहीं ली है ! मुझे उस कम्बख्त ने पूरा धोखा दिया मगर मैं उसे नि सन्देह गिरफ्तार करूगा और आप की रकम जाने न दूगा। यदि आप को मुझ पर शक हो और आप समझते हो कि मैने रिश्वत ली है तो फाटक पर चलकर मेरी कोठरी की तलाशी ले लीजिए मगर आप मेरी जान बचाइये । जमादार ने लारासिह की हद्द से ज्यादे खुशामद की और यहा तक गिडगिडाया कि तारासिह का दिल हिल गया मगर अपना काम निकालना भी बहुत जरुरी था इसलिए चालबाजा के साथ उसने जमादार का कसूर माफ करक कहा अच्छा मैं कसूर तो तुम्हारा माफ कर देता है। मगर इस समय जो कुछ मैं तुमसे कहता हू उसे बडी होशियारी के साथ करना होगा अगर कसर करोगे तो तुम्हारे हक में अच्छा न होगा। जमा-नहीं-नही मै जरा भी कसर न करुगा जो कुछ आप हुक्म देंगे वही करुंगा कहिये क्या आज्ञा होती है ? तारा-एक तो मैं अपनी जुबान से झूठ कदापि न बोलूगा । जमा-(कॉप कर ) तब मेरी जान कैसे बचेगी? तारा--तुम मेरी बात पूरी हो लेने दो-दूसरे मुझे यहा से तुरन्त चले जाने की जरूरत भी है इसलिए मैं अपने इन (अपने शार्गिदों की तरफ इशारा करके) दोनों साथियों को यहा छोड जाता हूँ तुम जब चोरको गिरफ्तार करके अपने राजदीवान या राजा के पास जाना तो इन्हीं दोनों को ले जाना ये दोनों आदमी अपने को मेरा नौकर कह कर चोरी गई हुई चीजों को बखूबी पहिचान लेंगे और ये चोरी के समय मेरा यहा मौजूद रहना तथा तुम्हारा कसूर कुछ भी जाहिर न करेंगे और तुम भी इस बात को जाहिर मत करना । ये दोनों आदमी अपने काम को पूरी तरह से अजाम दे लेंगे। हा एक बात कहना तो भूल गया इस सराय के अन्दर जितने आदमी हे उन सभों की भी तलाशी ले लेना। जमा-(दिल में खुश होकर) जरुर उन सभी की तलाशी ले ली जायगी और जो कुछ आपने आज्ञा दी है वही किया जायगा, आप अपना हर्ज न कीजिए और जाइए यहा मैं किसी तरह का नुकसान होने न दूंगा। । देवकीनन्दन खत्री समग्र ७८४