पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८९४

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दि भूत-अच्छा अब न पूछूगा। मगर अन्दाज से मालूम होता है कि जब आप उनके सामने भेद छिपाने की कसम खा चुके है तो वे इस भेद को जानते जरूर होंगे। खैर जब आप कहते ही हैं कि मेरा भेद छिपा रह जायगा तो मुझे घबराना न चाहिए। मगर मैं फिर यही कहूगा कि आप दलीपशाह नहीं है। नकाय (खिल-खिला कर हँसने के बाद) तब तो फिर मुझे कुछ और कहना पडेगा। वाह. तुम्हारी स्त्री बडी ही नेक थी, जो कुछ तुमने उसके सामने किया भूत-(नकाबपोश के मुह पर हाथ रखकर ) बस बस बस, मै कुछ भी सुना नहीं चाहता, यह कैसी माफी है कि आप अपनी जुबान नहीं रोकते ! इतने ही में पत्थरों की आड में से एक आदमी निकल कर बाहर आया और यह कहता हुआ भूतनाथ के सामने खड़ा हो गया, 'तुम उन्हें भले ही रोक दो मगर मैं उन बातों की याद दिलाए बिना नहीं रह सकता !" हम नहीं कह सकते कि इस नए आदमी को यहा आए कितनी देर हुई या यह कब से पत्थरों की आड में छिपा हुआ इन दोनों की बातें सुन रहा था, मगर भूतनाथ उसे यकायक अपने सामने देखकर चौंक पड़ा और घबराहट तथा परेशानी के साथ उसकी सूरत देखने लगा। यह देख उस आदमी ने जानबूझ कर रोशनी के सामने अपनी सूरत कर दी जिसमें पहिचानने के लिए भूतनाथ को तकलीफ न करनी पडे । यह वही आदमी था जिसे भूतनाथ ने नकाबपोशों के मकान में सूराख के अन्दर से झाक कर देखा था और जिसने नकाबपोशों के सामने एक बड़ी सी तस्वीर पेश करके कहा था, 'कृपानाथ, बस मैं इसी का दावा भूतनाथ पर कसँगा। इस आदमी को देखकर भूतनाथ पहिले से भी ज्यादे घबड़ा गया। उसके बदन का खूनबर्फ की तरह जम गया और उसमें हाथ पैर हिलाने की ताकत बिल्कुल न रही। उस आदमी ने पुन कडककर भूतनाथ से कहा, ये नकाबपोश साहब तुम्हारी बात मान कर चाहे चुप रह जाय मगर मैं उन बातों को अच्छी तरह याद दिलाए बिना न रहूगा जिसे सुनने की ताकत तुममें नहीं है। अगर तुम इनको दलीपशाह नहीं मानते तो मुझे दलीपशाह मानने में तुम्हें कोई उन भी न होगा। भूतनाथ यद्यपि आश्चर्य घटनाओं का शिकार हो रहा था और एक तौर पर खौफ तरदुद परेशानी और ना उम्मीद ने उसे चारों तरफ से आकर घेर लिया था मगर फिर भी उसने कोशिश करके अपने होश हवास दुरुस्त किये और उस नए आये दलीपशाह की तरफ देखकर कहा, "बहुत खासे ! एक दलीपशाह ने तो परेशान कर ही रक्खा था अब आप दूसरे दलीपशाह भी आ पहुचे थोडी देर में कोई तीसरे दलीपशाह भी आ जायगे, फिर मै काहे को किसी से दो बात कर सकूगा 1 ( पुराने दलीपशाह की तरफ देखकर ) अब बताइये दलीप शाह आप है या ये ?' पुराना दलीप-तुम इतने हीमें घबड़ा गये! हमारे यहा जितने नकाबपोश है सभी अपना नाम दलीपशाह बताने के लिए तैयार होंगे मगर तुम्हें अपनी अक्ल से पहिचानना चाहिये कि वास्तव में दलीपशाह कौन है। भूत-इस कहने का मतलब तो यही है कि आप लोग सच नहीं बोलते? पुराना दलीप-जो बातें हमने तुमसे कहीं क्या वे झूठ है ? नया दलीप-या मैं जो कुछ कहूगा वह झूठ होगा ! अच्छा सुनो में एक दिन का जिक्र करता हू जब तुम ठीक दोपहर के समय उसी पीतल वाली सन्दूकडी को बगल में छिपाये रोहतासगढ की तरफ भागे जा रहे थे। जब तुम्हें प्यास लगी तब तुम एक ऊचे जगत वाले कूए पर पानी पीने के लिए ठहर गये जिस पर एक पुराने नीम के पेड़ की सुन्दर छाया पड़ रही थी। कूए की जगत में नीचे की तरफ एक खुली कोठरी थी और उसमें एक मुसाफिर गर्मी की तकलीफ मिटाने की नीयत से लेटा हुआ तुम्हारे ही बारे में तरह-तरह की बातें सोच रहा था। तुम्हें उस आदमी के वहा मौजूद रहने का गुमान भी न था मगर उसने तुम्हें कूए पर जाते हुए देख लिया. अस्तु वह इस फिक्र में पड़ गया कि तुम्हारी छोटी सी गठरी में क्या चीज है इसे मालूम करे और अगर उसमें कोई चीज उसके मतलब की हो तो उसे निकाल ले। उस समय उस आदमी की सूरत ऐसीन थी कि तुम उसे पहिचान सकते बल्कि वह ठीक एक देहाती पडित की सूरत में था क्योंकि वह वास्तव में एक ऐयार था. अस्तु वह हाथ में लोटा लिए हुए कोठरी के बाहर निकला और उस ठिकाने गया जहा तुम कूए में झुककर पानी खींच रहे थे। तुम्हें इस बात का गुमान भी न था कि वह तुम्हारे साथ दगा करेगा मगर उसने पीछे से तुम्हें ऐसा धक्का दिया कि तुम कूए के अन्दर जा रहे और उसने तुम्हारे ऐयारी के बटुए पर कब्जा करके जो अन्दर था उसे अच्छी तरह देख और समझ लिया बल्कि कुछ ले भी लिया । क्या तुम्हें आज तक मालूम भी हुआ कि वह कौन था। भूत-(ताज्जुब से) नहीं मै अभी तक न जान सका कि वह कौन था मगर इन बातों केकहनेसे तुम्हारा मतलब ही क्या है? नया दलीप-मतलब यही है कि तुम जान जाओ कि इस समय वह आदमी तुम्हारे सामने खड़ा है। देवकीनन्दन खत्री समग्र ८८६