पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९६२

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(३) रसद वगैरह के काम में कहीं किसी तरह की बेईमानी तो नहीं हाती या धारी का नाम तो किसी की जुबान स नहीं सुनाई दता इसको जानन और शिकायतों का दूर करन पर चुनीलाल ऐयार तैनात किए गए। (४) इस तिलिग्मी इमारत सलकर चुनारगढ तक की राजपा और उसका सजावट का काम पवालाल आर पण्डित बद्रीनाथ के जिम्म किया गया। (५) युनारगढ म बाहर सन्यात में आये हुए पण्डितों की खातिरदारी और पू. पाठ इत्यादि के सामान की दुरुस्ती का बाझ जगनाथ ज्यातिषीफ ऊपर डाला गया । (६) पारात और महफिल वगेरह का सापट ल्या उसया राम्य ६ में जो कुछ उसक सिम्मवार जिसिह बनाया गया (७) आतिशबाजी और अजायबा 11 गमाश तयार करन के साथ ही साथ उसपर एक इमारत के धनवान का हुक्म इन्द्रदय का दिया गगा मा इमारत के अन्दर हसता हसत इन्द्रजीतसिह वगैरह एक दफे कद पड य और जिसका भद माफियाला नहोगा।* (८) पालाल वगैरह का बदलम धारांसह उर का रिकार,frगारी कामिनी धीरानी को जिम्मदार देवीस-बनाय गर्य: (९) बबाह सम्बन्धी सवाल रजा गापालसि. के हवाल गई। (१०) कुअर इद्रजीतसिह और आनन्दास के साथ रह पार उनक विवाह सम्बन्धी गत सात और जरूरता का कायद के राय नियाहने के लिए मससिह और तारासिंह घाड दिय गए। (११) हरनामसिह को अपन मातहतम लकर जीतसिंह ने यह कान जिम्म लिया कि हर एक के कामों की जाच और निगरानी र धन के अतिरिक्त पौदियों का मा किसी उचिा डास विवागत्सव के तमाश दिखा देंग ताकि वे लाग ना देख लें कि जिस दिन हम वाघ यह किरादुरी और बच्ची का सा पान रहा है और सर्वसाधारण भी देयल कि भादलित और ऐश आराम के फर में पड़ कर अपर परमाप कुल्हाडी मारन बाल छाट हाफर बडों क साय और या कोनताजा नागने पाल मालिपाको साथम नरामी सार उपाय करन का फल इस जन्म में भी भाग लन वाल और घीयती तथा पाप फ तास ऊपद पर परकर यकायक समतल में पहुबान वाल धम आर ईश्वर स चिमुरा य ही प्रायश्चित्तो लाग। इन सभी के साथ मातहती मका" लिए आदमी गौ काफी तोर पर दिया गया इनके अतिरिका और लोगो का तर तरह काम सुपुर्द किए गए और सब काइयडा घुसा की गय उपना अपना काम करनलग। ग्यारहवां बयान अव हम था सा हाल कुँअर इद्रजोतसिहका पयान करगे जिन्हें इस बात का बहुत ही रहेकि कमलिनी की शादी किसी दूसर के साथ हो गई और व उम्मीद में ही पंढ रह गय। रात पार र सध्यादे जा चुकी है और कुरन्दजीतसिंह अपन कमर म बैट मैरासिह स धीर धीर बातें कर रहे है। इन दाना के सिवाय कोई तीसरा आदमी इस कमर में नहीं है और कार का दवाजा भी मिडकाया हुआ है। भैरो-ता आप साफ साफ कहत क्या नहीं कि आपकी उदासी का रदव क्या? आपका ता आज सुश होना चाहिय कि जिस काम क लिए घरसों परशान रह जिसकी उम्मीद में तरह-तरह की तकलीफ उटाई जिसक लिए हथेली पर जान रख क बडे-बड दुश्मनों से मुकाबिला करना पड़ा और जिम्के हान या मिलो ही पर तमाम दुनिया की खुशी समझी जाती थी आज वही काम आपकी इच्छानुसार हा रहा है और उसी किशारी के साथ अपनी शादी का इन्तजाम अपनी आखों से देख रह है फिर भी एसी अवस्था में आपका उदास देख कर कन एसा हे जा ताज्जुब न करगा? इन्दजीत-धेशका मर लिए आज यी युशी का दिन है और मैं खुश हू भी मगर कमलिनी की तरफ से जोरज मुड़ा हुआ है उस हजार कोशिश करन पर भी भरा दिल बरदाश्त नहीं कर पाता। भैरो-(ताज्जुब का चहरा बना कर कमलिनी की तरफ से और आप को रज! जिसके अहसानों के बाझ से आप दबे हुए हैं उसी कमलिनी से रज ! यह आप क्या कह रह है? इन्द-इस बात को ता में खुद कह रहा हु कि उसके जहसानों के बाझसे में जिन्दगी भर हलका नहीं हो सकता और अब तक उसके जी में मरी भलाई का ध्यान अँधा ही हुआ है मगर रज इस बात का है कि अब मे उस उस माहयत की

  • दखिय चन्द्रकान्ता सन्तति पाचवा भाग चौथा क्यान।

देवकीनन्दन खत्री समग्र