पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९७८

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हो जाय ता आप यही समझें कि अभी तक इनके दिमाग में पागलपन का कुछ धूआ बचा हुआ है। जिस समय हम लाग तिलिस्म के अन्दर पहुचाए गये थे उस समय राजा गोपालसिह ने अपनी खास तिलिस्मी किताब कमलिनीजी को दे दी थी जिससे तिलिस्म का बहुत कुछ हाल इन्हें मालूम हो गया था और इनकी मदद से हम लोग जो चाहते थे करते थे तथा किसी बात की तकलीफ भी नहीं होती थी और खान पीने की सभी चीजे राजा गोपालसिंहजी पहुचा दिया करते थे। भैरोसिह जब पागल बनने के बाद आपसे मिले थे तो अपना ऐयारी का यदुआ जान बूझ कर कमलिनीजी के पास रख गये थे। फिर जब भैरोसिह को बुलाने की इच्छा हुई तो उन्हीं का बटुआ और पील मकरन्द की लडाई दिखा कर वे आपसे अलग कर लिये गय कमलिनी पीले मकरन्द की सूरत में थी और मै उनका मुकाबला कर रही थी कही बदी और मेल की लड़ाई थी इसलिए आपने समझा होगा कि हम दानों बड़े बहादुर और लड़ाके है। अस्तु इस मामले के बाद जब इन्द्रानी और आनन्दी वाले बाग में भैरोसिह आपसे मिले तब भी इन्होंने बहुत सी झूठ बातें बना कर आपस कहीं और जय आप इनसे रज हुए तो आपका सग छोड कर फिर इम लोगों की तरफ चले आये *। आप दानों माई उससमय शादी करने से इन्कार करते थे पर मजबूरी और लाचारी ने आपका पीछा न छोडो, इसके अतिरिक्त खुद इन्द्रानी और आनन्दी ने भी आप दोनों को किशोरी और कामिनी की चीटी दिखा कर खुश कर लिया था। यहाँ आकर आपने सुना ही है कि कमलिनीजी के पिता बलभद्रसिहजी जिन्हें भूतनाथ छुडा लाया था यकायक गायब हो गए और कई दिनों के बाद लौट कर आये। कुमार-हा सुना था। कमला-वस उन्हें राजा गोपालसिह ही यहाँ आकर ले गय थे और खुद वलभद्रसिहजी ने ही अपनी दोनों लडकियों का कन्यादान किया था। कुमार-(हसते हुए) ठीक है अब मैं सब बातें समझ गया और यह भी मालूम हो गया कि केवल धोखा देने के लिए ही माधवी और मायारानी जो पहिले ही मर चुकी थीं इन्द्रानी और आनन्दी बनाकर दिखाई गई थी। भैरो-जी हाँ। कुमार-मगर नानक वहाँ क्योकर पहुंचा था। भैरो-आप सुन चुके है कि तारासिंह ने नानक को कैसा छकाया था, अस्तु वह हम लोगों से बदला लेने की नीयत करके वहाँ गया और मायारानी से मिल गया था कमलिनी ने वहा का रास्ता उसे बता दिया था उसी का यह नतीजा निकला। जब मायारानी राजा गोपालसिह के कब्जे में पड़ गई तव राजा साहब ने नानक को बहुत कुछ बुरा भला कहा यहाँ तक कि नानक उनके पैरो पर गिर पड़ा और उनसे अपने कसूर की माफी मांगी। उस समय राजा साहब ने उसका कसूर माफ करके उसे अपने साथ रख लिया। तब से वह उन्हीं के कब्जे में रहा और उन्हीं की आज्ञानुसार आपको धोखे में डालन की नीयत से मायारानी और माधवी की लाश के पास दिखाई दिया था। वे दोनों पहिले हो मारी जा चुकी थीं मगर आपका भुलावा देने की नीयत से उनकी लाश इन्द्वानी और आनन्दी बना कर दिखाई गई थी। इसके अतिरिक्त और जो कुछ हाल है वह आपको राजा गोपालसिहजी की जुबानी भालूम होगा कुमार-ठीक है में ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि मायारानी और माधवी की लाश को इन्दानी और आनन्दी की सूरत में देख कर जो कुछ रज मुझे हुआ था और आज तक इस घटना का जो कुछ असर मेरे दिल में था वह जाता रहा। अब मै अपने को खुशनसीव समझने लगा। (कमलिनी से ) अच्छा यह बताओ कि रात की दिल्लगी तुमने किस तौर पर की? मेरी समझ में कुछ न आया और न इसी बात का पता लगा कि मेरी सूरत क्योंकर बदल गई? कमलिनी-इस बात का जवाब आपको कमला से मिलेगा। कमला-यह तो एक मामूली बात है। समझ लीजिये कि जय आप सो गए तो इन्हीं (कमलिनी) ने आपको बेहोश करके आपकी सूरत बदल दी * कुमार-ठीक है मगर ऐसा क्यों किया? कमला-एक ता दिल्लगी के लिए और दूसरे किशोरी के इस खयाल से कि जिसकी शादी पहिले हुई है उसी की

  • दखिये अट्ठारहवा भाग ग्यारहवा बयान ।
  • यही काम उधर लाडिली ने किया था। खुद तो पहिले ही से कामिनी बनी हुई थी मगर जब कुमार सो गये तब

उन्हें बेहोश करके उनकी सूरत बदल दी और सुबह को उनके जागने के पहिले ही अपना चेहरा साफ कर लिया। देवकीनन्दन खत्री समग्र