पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९७९

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दि । सुहागरात भी पहिले होनी चाहिये। कुमार-(हॅस कर ओर किशोरी की तरफ देख कर) अच्छा तो यह सब आपकी बहादुरी है। खैर आज आपकी पारी होगी ही समझ लूगा किशोरी न शर्मा कर सिर नीचा कर लिया और कुमार की बात का कुछ भी जवाब न दिया। इसके बाद व लोग कुछ दर तक हँसी खुशी की बातें करते रहे और तब अपने अपने ठिकाने चले गय। कुअर इन्द्रजीतसिह और आनन्दसिह की शादी के बाद कई दिनोंतकहॅसी खुशी का जलसा वराबर बना रहा क्योंकि इस शादी के आठवें ही दिन कमला की शादी भैरोंसिह के साथ और तारासिह की शादी इन्दिरा के साथ हो गई और इस नाते को भूतनाथ तथा इन्द्रदेव ने बड़ी खुशी के साथ मजूर कर लिया। इन सब कामों से पाकर महाराज ने निश्चय किया कि अब पुन उसी बगुले वाले तिलिस्मी मकान में चल कर कैदियों का मुकदमा सुना जाय अस्तु आज्ञानुसार बाहर के आये हुए मेहमान लोग हंसी खुशी के साथ बिदा किए गये और फिर कई दिनों तक तैयारी करने के बाद सभों का डेरा कूच हुआ और पहिले की तरह पुन वह तिलिस्मी मकान हरा भरा दिखाई देने लगा। कैदी भी उसी मकान के तहखानों में पहुंचाये गये और सबका मुकदमा सुनने की तैयारी होने लगी। चौथा बयान अब हम थोडा सा हाल नानक और उसकी मा का ययान करते है जो हर तरह से कसूरवार होने पर भी महाराज की आज्ञानुसार कैद किये जाने से बच गये और उन्हें केवल देश निकाले का दण्ड दिया गया। यद्यपि महाराज ने उन दानों पर दया की और उन्हें छोड दिया मगर यह बात सर्वसाधारण को पसन्द न आई। लोग यही कहते रहे कि यह काम महाराज ने अच्छा नहीं किया और इसका नतीजा बहुत युरा निकलेग । आखिर ऐसा ही हुआ अर्थात् नानक न इस अहसान को भूल कर फसाद करने और लोगों की जान लेने पर कमर बाधी । जब नानक की मां और नानक को देश निकाले का हुक्म हो गया और इन्द्रदेवल आदमी इन दोनों को सरहद के पार करके लौट आये तब ये दोनों बहुत ही दुखी और उदास हो एक पेड के नीचे बैठ कर सोचन लगे कि अब क्या करना चाहिये। उस समय सवेरा हो चुका था और सूर्य की लालिमा पूरय तरफ आसमान पर फैल रही थी। राम-कहो अब क्या इरादा है ? हम लोग तो बड़ी मुसीबत में फंस गए ! नानक-वैशक मुसीबत में फंस गए और विल्कुल कगाल कर दिये गए ! तुम्हारे जेवरों के साथ ही साथ मेर हर्वे भी छीन लिए गये और हम इस लायक भी न रहे कि किसी ठिकाने पहुच कर रोजी के लिए कुछ उधोग कर सकते। राम-ठीक है मगर मै समझती हू कि अगर हम लाग किसी तरह नन्हों के यहा पहुँच जायगे तो खाने का ठिकाना हो जायेगा और उससे किसी तरह की मदद भी ले सकेंगे। नानक-नन्हों के यहाँ जाने से क्या फायदा हागा? वह तो खुद गिरफ्तार होकर कैदखाने की हवा खा रही होगी ! हा उसका भतीजा वेशक बचा हुआ है जिसे उन लागों ने छोड दिया और जो नन्हों जायदाद का मालिक बन बैठा होगा मगर उससे किसी तरह की उम्मीद मुझको नहीं हो सकती है। रामदेई-ठीक है मगर नन्हों की लौडियों में से दो एक ऐसी हैं जिनसे मुझे मदद मिल सकती है। नानक-मुझ इस बात की भी उम्मीद नहीं है इसके अतिरिक्त वहा तक पहुचने के लिए भी तो समय चाहिये यहाँ ता एक शाम की भूख बुझाने के लिए पल्ले में कुछ नहीं है। राम-ठीक है मगर क्या तुम अपन घर भी मुझे नहीं ले जा सकते ? वहा तो तुम्हारे पास रुपये पैसे की कमी नहीं होगी। नानक हा यह हो सकता है वहा पहुचने पर फिर मुझे किसी तरह की तकलीफ नहीं हो सकती मगर इस समय ता वहा तक पहुँचना भी कठिन हो रहा है। (लम्बी सास लेकर) अफसोस मरा ऐयारी का बटुआ भी छीन लिया गया और हम लोग इस लायक भी न रह गये कि किसी तरह सूरत बदल कर अपने को लागों की आखों से छिपा लेते। राम-खैर जो होना था सो हा गया अब इस समय अफसोस करने से काम न चलेगा। सब जेवर छिन जाने पर भी मेरे पास थोडा सा साना बचा हुआ है अगर इसमें कुछ काम चले तो नानक (चौंक कर ) क्या कुछ है । रामदेई-हाँ। इतना कह कर रामदेई ने धोती के अन्दर छिपी हुई सोने की एक करधनी निकाली और नानक के आगे रख दी। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग २३ ९७३