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देव-सुधा

में यह लाल रंग अधरों से प्राप्त है । स्यामा = काला रंग; यह रंग आँखों की पुतलियों से पाया है। पदुमराग = मानिक या लाल- नामक रत्न । पुखराग ( पुष्पराग = एक प्रकार का रत्न जो प्रायः पीला होता है । लटकन के मोती में यह पीलापन कंचन-तन या स्वर्ण से प्राप्त है । कन = सोने का कण । बाने = वेश (भेष )। बानर बोर बसाए*.अटा रँगा मंदिर मैं सुक साग्यो चिरैया,भोर लौं अखिल भीर अथाय द्वार न कोऊ किवार भिरैया; कौलौ घिरे घर मैं रहौं देवई बछा बिछुरे कहौ कौन घिरैयाx, फूले न बाग+ समूले न मूने ऊ सूले : खरे उर फूले फिरैया ।

इस छंद में संक्षिप्त गुण का कवि ने अच्छा समावेश किया है।

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रूप तथा नख-शिख

माथे मनोहर मौर लसै, पहिरे हिय मैं गहिरे [जहारनि , कुडल मंडित गोल कोत, सुधा-सम बोल विलोल निहारनि;

  • भूत गुप्ता ।

+ लक्षिता।

  • मुदिता अथवा स्वयंदूती।

$ कुलटा। ४ भविष्य गुप्ता + प्रथम अनुसेना।

वचनविदग्धा।

- दूसरी अनुसेना।