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काव्य-कला-कुशलता
(१४) दोहे के चतुर्थ चरण में 'धर्म-वाचक-लुप्तोपमा स्पष्ट ही है।
(१५) शब्दालंकारों में छेकानुप्रास और यमक भी प्रकट हैं।
(१६) संपूर्ण दोहे में अद्भुत-रसवत् सामग्री होते हुए रसवत् अलंकारों के भेदांतरों में अद्भुत-रसवत् अलंकार भी सतसई-टीका- कारों ने स्वीकार किया है।
इस प्रकार उपर्युक्त दोहे में हमने १६ अलंकार दिखलाए हैं। गौण रूप से अभी और भी कई अलंकार इसमें निकल सकते हैं।