परिचय
६. ईसवी-टीका
१०. हरिप्रकाश-टीका
११. अनवर-चंद्रिका
१२. प्रताप-चंद्रिका
१३. रस-चंद्रिका
१४. ज्वालाप्रसाद मिश्र की टीका
५५. गुजराती-अनुवाद
१६. अँगरेज़ी-अनुवाद
१७. उर्दू-अनुवाद
१८. पं० पद्मसिंह शर्मा-कृत संजीवन-भाष्य का प्रथम तथा द्वितीय
भाग
१६. चंद्र पठान की कुंडलियाँ
२०. भारतेंदुजी के छंद
२१. सरदार कवि की. टीका, जिनका नाम हमें अविदित
२२. विहारी-बोधिनी (लाला भगवानदीन-कृत)
२३. बिहारी-रत्नाकर ( बाबू जगन्नाथदास 'रत्नाकर'-कृत)
एवं नव-दस और टीकाएँ या अनुवाद आदि।
कृष्ण कवि इनके पुत्र थे तथा बूंदी-दरबार के वर्तमान
राजकवि अमरकृष्ण चौबे भी इन्हीं के वंशधरों में से हैं ।
कविवर देव के आश्रयदाता और बादशाह औरंगजेब के पुत्र,
श्राज़मशाह ने सतसई को क्रम बद्ध-कराया था और तभी
से सतसई का आज़मशाही-क्रम प्रसिद्ध हो रहा है । रत्नाकरजी
का कहना है कि आज़मशाही-क्रम श्राज़मगढ़ वसानेवाले
आज़मखाँ का करवाया हुआ है । सुनते हैं, सतसई की
और भी कई बहुमूल्य एवं ऐतिहासिक महत्त्व से पूर्ण प्रतियाँ
प्राप्त हुई हैं एवं इसके कई सर्वांग-पूर्ण संस्करण निकलनेवाले
पृष्ठ:देव और बिहारी.djvu/९७
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