पृष्ठ:दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता.djvu/३६५

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३६४ टोमी बावन वणन की वार्ता खासा सेवकी. मेवा की विधि कगय आउ । पार्क बनवानी ने जाँइ के सब घर ग्वासा करवाय के पाले वामन बदलाए। जल- घराकी विधि सब बताई । पाळ श्रीगुसांईजी ने मेवा पधगय दीनी । और पांच सात दिन आप (बाही गाम में) डेरा राव । सव सेवा की विधि सिखाई । पाळे आप तो श्रीरनछोरजी के दरसन करि के व्रज में पधारे । और ये दोऊ स्त्री-पुरुप भली भांति सों सेवा करन लागें । सा एक दुकान कपड़ान की करी। पाठे नित्य सवारे उठि के स्त्री-जन मामग्री करे । आप मंगला करि के सिंगार धराय के पाळं दुकान पे जातो । पाठे स्त्री सिंगार भोग. राजभोग धरे । मो यह राजभोग आति समे जाँइ के राजभोग आर्ति करे । अनोमर करि के गाड़ को दे के महाप्रसाद ले के दुकान पं जातो। मो वाकी कपड़ान की दुकान हती। सो एक दिना एक ब्राह्मन वैष्णव वा गाम में आयो । सो उनकी दुकान के आगें होंइ के निकरयो । तव मोची देखि के. उठि कै मिल्यो । श्रीकृष्ण-स्मरन करि के दुकान पे ल्यायो । भाव सहित चोहोत आदर कियो। पाठें अपने घर वा ब्राह्मन वैष्णव को ले गयो । सो आप तो न्हाइ कै राजभोग आति करी। इन ब्राह्मन वैष्णव ने श्रीठाकुरजी के दरसन किये। पाछे अनोसर करि के इन ब्राह्मन वैष्णव को अपने घर में सब दिखाए । जो ये खासा, ये सेवकी, ये हमारी सेवकी न्यारी है । और यह श्रीठाकुरजी की खासा । यह सखड़ी. अनसखड़ो, ढूधधर सब दिखायो। प्रसादी और भोग न्यारे न्यारे धरतो। सो बोहोत उज्ज्वलता सों करतो। तव यह ब्राह्मन वैष्णव