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द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र


हयात में इस प्रकार के समानार्थक-फारसी उर्दू के शेर कैसे ढूँढ़ कर रखे हैं। यदि इनका देना आप उचित न समझें तो मुझे वापिस भेज दीजिए, क्योंकि मैंने इनकी नकल नहीं रखी है, गुम न हो जायं, कई महीने की ढूँढ़ खोज का नतीजा है।

इनका 'शीर्षक' आप अपनी इच्छा के अनुसार कुछ रख दीजिए। जहाँ आवश्यकता समझिए नोट आदि भी दे दीजिए, मुझसे जल्दी में कुछ और नहीं हो सका।

हाल के मखजन में "बैरागी" नाम से, एक मुसलमान सूफी की नज्म निकली है, उसकी भाषा प्रायः ठेठ हिंदी है, भाव भी अच्छा है, मेरा विचार है, उसे नागरी में लिखकर 'सरस्वती' के लिये भेजूंगा, क्या भेज दूँँ?

हाँ, इन श्लोकों में 'अत्तुंवांछित—' श्लोक का उत्तरार्द्ध दो प्रकार से है, एक जैसा पंचपत्र में है, और दूसरा ब• शा० पद्धति में, दोनों लिख दिये हैं, 'मेरी संमति में शा० पद्धति वाला पाठ अच्छा है उसे ही रखिए।

अपने स्वास्थ्य का समाचार लिखिए। जलचिकित्सा से कुछ लाभ हुआ।

विद्यावारिधि जी का यजुर्वेदभाष्य आपके पास हो तो लिखिए। वाणभट्ट की जीवनी भेजिए।

यदि सरस्वती के तबादले की फेहरिस्त में गुंजायश हो तो एक कापी 'परोप- कारी' के बदले में हमें भी दिलवाइए।

कृपापात्र
 
पद्मसिंह
 

नोट-बिना तारीख का पत्र है।

(८०)
ओम्
महाविद्यालय
 
ज्वालापुर
 
२५-१०-१०
 
श्रीयुत मान्यवर द्विवेदी जी महाराज
 
प्रणाम

२१-१० का कृपाकार्ड मिला। आशा है अब ज्वर जुकाम से छुट्टी पाकर माप सर्वथा नीरोग होंगे।