पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/२३१

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आचार्य पं० रामचन्द्र शुक्ल के पत्र श्री केदारनाथ पाठक जी के नाम रमईपट्टी-मिरजापुर ता० १३-१०-०५. प्रियवर कृपाकार्ड मिला । मेरे ऊपर जो यहां आक्रमण हो रहे हैं उसका हाल तो आपने बा० भगवानदास से' जान ही लिया होगा। इस समय मेरे ऊपर केस लाने की तैयारियां हो रही हैं। बा० काशीप्रसाद कहते हैं कि वह चिट्ठी जो 'बंगवासी' में देवीप्रसाद के नाम से छपी है उनकी लिखी नहीं है, इसका वे कहते हैं कि उनके पास प्रमाण है। केस लाने में अभी दो-तीन दिन की देर है इस बीच में मुझे एक दो काम करना है। प्रथम तो मुझे यह सिद्ध करना है कि वह चिट्ठी काशीप्रसाद ही की लिखी है यह बात सिद्ध हो जाने पर सब बखेड़ा मिट जायगा और काशीप्रसाद मुआफी मांगेंगे परन्तु यदि सिद्ध न हो सका तो वे कहते हैं कि मुझे मुआफी मांगना होगा। बाबू काशीप्रसाद यह भी कहते हैं कि वे इस बात को प्रमाणित कर देंगे कि वह 'मोहिनी' वाली चिट्ठी मैंने लिखी है, पर मैं नहीं जानता कैसे। आगे जो कुछ: होगा बराबर लिखता रहूंगा। इधर पत्र न देने का कारण यह था कि मैं चाहता था कि यह सब झगड़ा निपट जाय तब मैं आपके पास लिखू। वहाँ का हाल' लिखिए। आपका रामचन्द्र शुक्ल १. बा० भगवानदास हालना।