पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/५७

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४२ द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र (१९) दौलतपुर, रायबरेली २५-४-१९ प्रणाम ___ २२ का पोस्टकार्ड मिला । बड़ी बहन के न रहने का अशुभ समाचार सुनकर बड़ा दुःख हुआ। बड़ी बहन मां के बराबर होती है। मैं इस दुख का भुक्तभोगी हूँ। आपके दुख से दुखी हूँ। .. यह दुष्टता किसने की। क्यों भारतमित्र को ऐसी खबर भेजी। इससे आपका लाभ ही होगा। आपकी उम्र बढ़ेगी। ईश्वर आपको शतायु करे। कल कानपुर जाऊँगा। भवदीय म० प्र०द्विवेदी (२०) जुही, कानपुर २१-२-२० प्रणाम पो० का० मिला। दुख है, आपके घर में एक न एक पड़ा ही रहता है। ईश्वर. सबको आरोग्य दे। २ दिन बाद प्रयाग से कल लौटा। आज दिसंबर की प्रतिभा पढ़ी। स्वार्थ की समालोचना पढ़कर बड़ा आनन्द आया। रास्ते की थकावट दूर हो गई। कई दफे हँसी रोके न रुकी। पद्मसिंह जी की कृति मालूम होती है । शायद गरज कर ज्ञानमंडल की गुहा छोड़ दी। सिंह ही ठहरे। भवदीय म. प्र. द्विवेदी